अलीपुरद्वार: उत्तरी बंगाल में बांस और कपड़े का उपयोग करके पहाड़ियों के दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों से गर्भवती माताओं और रोगियों को अस्पताल पहुंचाया जाता था. ऐसे दुर्गम क्षेत्रों में अब मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए पालकी एंबुलेंस (Palki ambulance) की वैकल्पिक व्यवस्था की गई है.
अलीपुरद्वार जिले के दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्र में 14 गांव हैं. यहां के बक्सा पहाड़ी क्षेत्र में कोई बीमार पड़ जाता था तो उसे बांस और कपड़े से बनी पालकी में संतालाबाड़ी तक उतरना पड़ता था. फिर उन्हें इलाज के लिए अलीपुरद्वार के कालचीनी या जिला अस्पताल के लताबारी ले जाया जाता था.
पालकी एंबुलेंस सेवा : अलीपुरद्वार जिला प्रशासन द्वारा अलीपुरद्वार जिले के कालचीनी प्रखंड तक दुर्गम बक्सा हिल्स की गर्भवती माताओं एवं बीमार मरीजों के लिए पालकी एंबुलेंस सेवा शुरू की गई है. बक्सा हिल के बीमार मरीजों और गर्भवती माताओं को समुद्र तल से 2600 फीट ऊपर अस्पताल ले जाना पड़ता था, जिसमें काफी समय लग जाता था.
पिछले साल ही एक गर्भवती महिला को बांस के सहारे ले जाने के दौरान नवजात की मौत हो गई थी. इसके तुरंत बाद, अलीपुरद्वार के जिलाधिकारी सुरेंद्र कुमार मीणा की पहल पर, जिला स्वास्थ्य विभाग और भारत के परिवार नियोजन ने संयुक्त रूप से इस तरह के हादसों से बचने के लिए पालकी एंबुलेंस सेवा शुरू की.