चेन्नई/मदुरै : उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले पर मुहर लगा दी जिसने के. पलानीस्वामी को अन्नाद्रमुक के अंतरिम महासचिव के रूप में जारी रखने की अनुमति दी थी. शीर्ष अदालत के पलानीस्वामी को अन्नाद्रमुक का अंतरिम महासचिव बने रहने की अनुमति दिए जाने के तुरंत बाद गुरुवार को यहां पार्टी मुख्यालय में जश्न मनाया गया. अन्नाद्रमुक की 11 जुलाई 2022 को आम परिषद की बैठक में पलानीस्वामी को नेता चुना गया था, जबकि उनके विरोधी ओ. पनीरसेल्वम तथा कुछ सहायकों को निष्कासित कर दिया गया था.
न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "हमने हाईकोर्ट की खंडपीठ के दो सितंबर 2022 के आदेश को बरकरार रखा है और अपने पहले के अंतरिम आदेश को स्थायी कर दिया है." पीठ ने आगे कहा कि उसने पार्टी के समक्ष प्रस्तावों के मामले को नहीं निपटाया है जो एकल-न्यायाधीश द्वारा सुने जा रहे थे. पीठ ने आगे कहा कि हम इन प्रस्तावों को कानून के अनुसार निपटाए जाने के लिए खुला छोड़ देते हैं. हम यह नहीं चाहते कि पक्षकार के आवेदनों को अनुमति दी जाए. सेलम के प्रभावशाली नेता पलानीस्वामी के समर्थकों ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया.
अन्नाद्रमुक के नेतृत्व को लेकर लंबे समय से चली आ रही खींचतान में शीर्ष अदालत का फैसला प्रतिद्वंद्वी पार्टी के नेता ओ. पनीरसेल्वम (ओपीएस) के लिए एक झटका है. शीर्ष अदालत ने ओपीएस की चुनौती को खारिज कर दिया और ईपीएस को पार्टी के अंतरिम महासचिव के रूप में जारी रखने की अनुमति दी. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि पिछले साल छह जुलाई को दिया गया उसका अंतरिम आदेश स्थायी किया जाएगा, जिसमें अन्नाद्रमुक उपनियमों में संशोधन पर रोक लगाने वाले हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था.
अन्नाद्रमुक के मुख्यालय एमजीआर मालीगई में पुलिस बल की मौजूदगी के बीच पलानीस्वामी के समर्थकों ने पटाखे जलाए और पार्टी के अंतरिम महासचिव की तस्वीर पर दूध चढ़ाया. अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री डी जयकुमार ने महाभारत के संदर्भ में कहा कि 'पांडवों' और 'कौरवों' के बीच लड़ाई में पांडवों की जीत हुई. उन्होंने उच्चतम न्यायालय के फैसले को ऐतिहासिक भी बताया. पनीरसेल्वम के राजनीतिक भविष्य के बारे में पूछे जाने पर जयकुमार ने 'शून्य' का इशारा किया.