इस्लामाबाद : पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कथित 'विदेशी साजिश' के बारे में और जानकारी के लिये सरकार से राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक के 'मिनट्स' (विवरण) मांगे और प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष द्वारा विवादास्पद फैसले के जरिये खारिज करने को लेकर हो रही अहम सुनवाई बृहस्पतिवार तक टाल दी. नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम खान सूरी ने अविश्वास प्रस्ताव के सरकार को गिराने की तथाकथित विदेशी साजिश से जुड़े होने का हवाला देते हुए रविवार को उसे खारिज कर दिया था. कुछ मिनट बाद, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री खान की सलाह पर नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था.
शीर्ष अदालत ने कुछ ही घंटों में इस घटनाक्रम पर स्वत: संज्ञान लिया और पांच सदस्यीय पीठ ने सोमवार को मामले की सुनवाई शुरू कर दी. पीठ की अध्यक्षता प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल कर रहे हैं और इसमें न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन, न्यायमूर्ति मोहम्मद अली मजहर, न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर और न्यायमूर्ति जमाल खान मंडोखाइल शामिल हैं. सुनवाई के तीसरे दिन बुधवार को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी की तरफ से बाबर अवान पेश हुए जबकि राष्ट्रपति अल्वी का प्रतिनिधित्व अली जफर ने किया.
मुख्य न्यायाधीश बंदियाल ने अवान से राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की हालिया बैठक के ‘मिनट्स’ के बारे में पूछा, जिसमें कथित तौर पर पीटीआई के नेतृत्व वाली सरकार को हटाने के लिए एक कथित 'विदेशी साजिश' के सबूत दिखाने वाले एक पत्र पर चर्चा की गई थी. डान अखबार की खबर के मुताबिक सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बंदियाल ने पूछा कि किस आधार पर डिप्टी स्पीकर ने फैसला सुनाया. उन्होंने कहा, 'क्या स्पीकर तथ्यों को पेश किए बिना इस तरह के फैसले की घोषणा कर सकते हैं.' उन्होंने कहा कि यह संवैधानिक बिंदु था जिस पर अदालत को फैसला करना था.
उन्होंने अवान से अदालत को सूचित करने के लिए भी कहा कि क्या अध्यक्ष अनुच्छेद 95 को दरकिनार कर एक निर्णय जारी कर सकते हैं जो दिन के एजेंडे में नहीं था. उन्होंने पीटीआई के वकील को 'ठोस' सबूतों के साथ फैसले का बचाव करने के लिए कहा. उन्होंने अवान से पूछा, 'राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक के मिनट्स कहां हैं?' उन्होंने कहा, 'हम देखना चाहते हैं कि क्या साजिश थी जिसका इस्तेमाल प्रस्ताव को खारिज करने के लिए किया गया था.' उन्होंने कहा कि अदालत इस बात की भी जांच करेगी कि क्या स्पीकर को सदन के एजेंडे से हटने और कुछ अन्य 'तथ्यों' पर भरोसा करने का अधिकार है.