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इमरान खान अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाये जाने वाले पहले PM बने

पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार गिर गई है. नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान इमरान खान के खिलाफ 174 वोट पड़े. पीएमएलएन के सांसद के स्पीकर का पदभार संभालने के बाद अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराई गई थी. वोटिंग के दौरान इमरान खान की पार्टी के सांसद सदन से बाहर चले गए.

Pakistan PM Imran Khan loses trust vote in National Assembly
आधी रात को गिरी इमरान खान की सरकार, शाहबाज शरीफ का पीएम बनना तय

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Published : Apr 10, 2022, 6:20 AM IST

Updated : Apr 10, 2022, 7:42 AM IST

इस्लामाबाद: पाकिस्तान नेशनल असेंबली में प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर शनिवार मध्यरात्रि के बाद हुए मतदान में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. खान देश के इतिहास में ऐसे पहले प्रधानमंत्री बन गये, जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के जरिये हटाया गया है. खान को हटाये जाने के बाद सदन के नये नेता के चुनाव की प्रक्रिया का रास्ता साफ हो गया है.

हालांकि, संयुक्त विपक्ष ने पहले ही ऐलान किया था कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के अध्यक्ष शहबाज शरीफ उनके संयुक्त उम्मीदवार होंगे. ऐसे में शहजाब शरीफ रविवार को देश के नये प्रधानमंत्री चुने जा सकते हैं. शहबाज ने संकल्प जताया कि नयी सरकार प्रतिशोध की राजनीति में शामिल नहीं होगी. विश्वास मत की घोषणा के बाद शहबाज ने कहा, 'मैं अतीत की कड़वाहट में वापस नहीं जाना चाहता. हमें इसे भूलकर आगे बढ़ना होगा. हम कोई बदले की कार्रवाई या अन्याय नहीं करेंगे. हम बिना वजह किसी को जेल नहीं भेजेंगे.'

विश्वास मत के नतीजे के बाद पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने देश के इतिहास में पहली बार किसी प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर सदन को बधाई दी. इस बीच, पीटीआई के सांसद फैसल जावेद ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले ही इमरान खान ने प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास छोड़ दिया. फैसल ने ट्वीट किया, 'अभी-अभी प्रधानमंत्री इमरान खान प्रधानमंत्री आवास से विदा हुए. वह शालीनता से विदा हुए और झुके नहीं.' शनिवार को पल-पल बदलते घटनाक्रम के बीच देर रात को शुरू हुए मतदान के नतीजे में संयुक्त विपक्ष को 342-सदस्यीय नेशनल असेंबली में 174 सदस्यों का समर्थन मिला, जो प्रधानमंत्री को अपदस्थ करने के लिए आवश्यक बहुमत 172 से अधिक रहा. गौरतलब है कि किसी भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है.

इमरान खान - एक ऐसे नेता हैं जिनके क्रिकेट करियर ने उनके राजनीतिक सफर को प्रभावित किया-पाकिस्तान के क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान ने 1992 क्रिकेट विश्व कप में अपनी अस्थिर टीम को चैंपियन बना दिया था. हलांकि, वह राजनीति में उसी करिश्मे को दोहराने में विफल रहे. उन्हें उनकी पहली पारी के बीच में एक दृढ़ विपक्ष द्वारा रन आउट कर दिया गया. 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में बहुमत खोने वाले खान ने संसद को भंग कर दिया और डिप्टी स्पीकर द्वारा उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को अवरुद्ध करने के बाद 3 अप्रैल को नए सिरे से चुनाव का आह्वान किया. हालांकि, मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने 7 अप्रैल को 5-0 के ऐतिहासिक फैसले में डिप्टी स्पीकर के फैसले को खारिज कर दिया और स्पीकर को 9 अप्रैल को विश्वास मत के लिए सत्र बुलाने का आदेश दिया.

खान 2018 में पद संभालने के बाद से अपनी पार्टी में दलबदल और सत्तारूढ़ गठबंधन में दरार के कारण अपनी सबसे कठिन राजनीतिक परीक्षा पास करने में विफल रहे. वह पाकिस्तान में पहले प्रधानमंत्री हैं जिनके भाग्य का फैसला विश्वास मत के माध्यम से किया गया. ऑक्सफोर्ड में पढ़े इमरान ने 2018 में एक नया पाकिस्तान बनाने के वादे के साथ सत्ता में आये. लेकिन वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रण में रखने की बुनियादी समस्या को दूर करने में बुरी तरह विफल रहे.

पिछले साल खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख की नियुक्ति का समर्थन करने से इनकार करने के बाद खान ने स्पष्ट रूप से शक्तिशाली सेना का समर्थन खो दिया था. अंत में वह सहमत हो गये लेकिन इसने सेना के साथ उनके संबंधों में खटास ला दी. खान के 21 साल के क्रिकेट करियर ने उनकी 26 साल की राजनीतिक यात्रा को प्रभावित किया. अक्सर सत्ता में रहने के दौरान लगभग सभी विपक्षी नेताओं के साथ तिरस्कार के साथ व्यवहार किया, उनके लिए अपमानजनक टिप्पणियों का इस्तेमाल किया. यही कारण है कि उन्होंने विपक्षी नेताओं को एक बैनर तले एकजुट होने और अपनी सरकार को सफलतापूर्वक गिराने का मौका दिया.

खान ने 1996 में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ का शुभारंभ किया- पिछली बार 2021 में विश्वास मत के दौरान आराम से जीत हासिल की थी. खान ने 1996 में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ का शुभारंभ किया. इसका अर्थ है न्याय के लिए आंदोलन, लेकिन पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) - दो मुख्य राजनीतिक दलों के प्रभुत्व को तोड़ने के लिए संघर्ष किया. दोनों दल बार-बार सत्ता में रहे हैं जब सेना देश पर शासन नहीं कर रही थी.

वर्षों तक पीएमएल-एन और पीपीपी के प्रभुत्व को तोड़ने में असमर्थ रहे खान ने एक बार भी कहा, 'पाकिस्तान में राजनीति वंशानुगत है.' उन्होंने पीएमएल-एन और पीपीपी पार्टियों के नेताओं क्रमशः शरीफ परिवार और भुट्टो परिवारों का जिक्र किया. खान 2002 में संसद सदस्य बने. वह 2013 में फिर से नेशनल असेंबली के लिए चुने गए. चुनावों के एक साल बाद मई 2014 में खान ने आरोप लगाया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के नेतृत्व में सत्तारूढ़ पीएमएल-एन के पक्ष में चुनावों में धांधली की गई थी. अगस्त 2014 में खान ने लाहौर से इस्लामाबाद तक अपने समर्थकों की एक रैली का नेतृत्व किया. इसमें शरीफ के इस्तीफे और कथित चुनावी धोखाधड़ी की जांच की मांग की गई थी.

खान ने 2018 के आम चुनावों में अपनी पार्टी की जीत का नेतृत्व किया. इस दौरान उन्होंने भ्रष्टाचार पर नकेल कसने, गरीबी-विरोधी कार्यक्रमों को लागू करने, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा में सुधार करने और अपने देश को इस्लामिक कल्याणकारी राज्य में बदलने का वादा किया था. सत्ता में रहते हुए, खान ने बार-बार पाकिस्तान को इस्लामिक कल्याणकारी राज्य बनाने की बात कही. हालांकि, वह अर्थव्यवस्था और वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रण में रखने की मूल समस्या को ठीक करने में विफल रहे.

इमरान ने चीन के साथ बेहतर संबंध बनाये-विदेश नीति के मोर्चे पर, खान के पश्चिम, विशेषकर अमेरिका के साथ ठंडे संबंध थे. खान ने सभी मौसमों में सहयोगी चीन के साथ संबंधों को और मजबूत करते हुए रूस के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने की कोशिश की. खान के कार्यकाल के दौरान 2019 में पाकिस्तान और भारत के बीच संबंध और तनावपूर्ण हो गए थे, जब पाकिस्तान स्थित एक आतंकी समूह ने फरवरी में एक आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों को मार डाला, जिससे भारत को खैबर पख्तूनख्वा के बालाकोट में आतंकी शिविरों पर बमबारी करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

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इसके अगले दिन दोनों देशों के बीच एक तीव्र हवाई टकराव हुआ, जिसमें भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को पकड़ लिया गया और बाद में पाकिस्तान ने रिहा कर दिया. अगस्त, 2019 में भारत द्वारा जम्मू और कश्मीर की विशेष शक्तियों को वापस लेने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने की घोषणा के बाद संबंध बिगड़ गए. खान जोर देकर कहते हैं कि कश्मीर विवाद दोनों देशों के बीच एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान संयुक्त राष्ट्र सहित कई मंचों पर इस मुद्दे को उठाया. भारत ने पाकिस्तान से बार-बार कहा है कि जम्मू कश्मीर देश का अभिन्न अंग है, हमेशा के लिए था और हमेशा अभिन्न अंग बना रहेगा. बाद में 2019 में खान ने औपचारिक रूप से करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन किया, जिससे भारतीय सिख तीर्थयात्रियों को बिना वीजा की आवश्यकता के पाकिस्तान में अपने धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक पर जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Apr 10, 2022, 7:42 AM IST

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