इस्लामाबाद: पाकिस्तान नेशनल असेंबली में प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर शनिवार मध्यरात्रि के बाद हुए मतदान में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. खान देश के इतिहास में ऐसे पहले प्रधानमंत्री बन गये, जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के जरिये हटाया गया है. खान को हटाये जाने के बाद सदन के नये नेता के चुनाव की प्रक्रिया का रास्ता साफ हो गया है.
हालांकि, संयुक्त विपक्ष ने पहले ही ऐलान किया था कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के अध्यक्ष शहबाज शरीफ उनके संयुक्त उम्मीदवार होंगे. ऐसे में शहजाब शरीफ रविवार को देश के नये प्रधानमंत्री चुने जा सकते हैं. शहबाज ने संकल्प जताया कि नयी सरकार प्रतिशोध की राजनीति में शामिल नहीं होगी. विश्वास मत की घोषणा के बाद शहबाज ने कहा, 'मैं अतीत की कड़वाहट में वापस नहीं जाना चाहता. हमें इसे भूलकर आगे बढ़ना होगा. हम कोई बदले की कार्रवाई या अन्याय नहीं करेंगे. हम बिना वजह किसी को जेल नहीं भेजेंगे.'
विश्वास मत के नतीजे के बाद पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने देश के इतिहास में पहली बार किसी प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर सदन को बधाई दी. इस बीच, पीटीआई के सांसद फैसल जावेद ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले ही इमरान खान ने प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास छोड़ दिया. फैसल ने ट्वीट किया, 'अभी-अभी प्रधानमंत्री इमरान खान प्रधानमंत्री आवास से विदा हुए. वह शालीनता से विदा हुए और झुके नहीं.' शनिवार को पल-पल बदलते घटनाक्रम के बीच देर रात को शुरू हुए मतदान के नतीजे में संयुक्त विपक्ष को 342-सदस्यीय नेशनल असेंबली में 174 सदस्यों का समर्थन मिला, जो प्रधानमंत्री को अपदस्थ करने के लिए आवश्यक बहुमत 172 से अधिक रहा. गौरतलब है कि किसी भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है.
इमरान खान - एक ऐसे नेता हैं जिनके क्रिकेट करियर ने उनके राजनीतिक सफर को प्रभावित किया-पाकिस्तान के क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान ने 1992 क्रिकेट विश्व कप में अपनी अस्थिर टीम को चैंपियन बना दिया था. हलांकि, वह राजनीति में उसी करिश्मे को दोहराने में विफल रहे. उन्हें उनकी पहली पारी के बीच में एक दृढ़ विपक्ष द्वारा रन आउट कर दिया गया. 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में बहुमत खोने वाले खान ने संसद को भंग कर दिया और डिप्टी स्पीकर द्वारा उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को अवरुद्ध करने के बाद 3 अप्रैल को नए सिरे से चुनाव का आह्वान किया. हालांकि, मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने 7 अप्रैल को 5-0 के ऐतिहासिक फैसले में डिप्टी स्पीकर के फैसले को खारिज कर दिया और स्पीकर को 9 अप्रैल को विश्वास मत के लिए सत्र बुलाने का आदेश दिया.
खान 2018 में पद संभालने के बाद से अपनी पार्टी में दलबदल और सत्तारूढ़ गठबंधन में दरार के कारण अपनी सबसे कठिन राजनीतिक परीक्षा पास करने में विफल रहे. वह पाकिस्तान में पहले प्रधानमंत्री हैं जिनके भाग्य का फैसला विश्वास मत के माध्यम से किया गया. ऑक्सफोर्ड में पढ़े इमरान ने 2018 में एक नया पाकिस्तान बनाने के वादे के साथ सत्ता में आये. लेकिन वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रण में रखने की बुनियादी समस्या को दूर करने में बुरी तरह विफल रहे.
पिछले साल खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख की नियुक्ति का समर्थन करने से इनकार करने के बाद खान ने स्पष्ट रूप से शक्तिशाली सेना का समर्थन खो दिया था. अंत में वह सहमत हो गये लेकिन इसने सेना के साथ उनके संबंधों में खटास ला दी. खान के 21 साल के क्रिकेट करियर ने उनकी 26 साल की राजनीतिक यात्रा को प्रभावित किया. अक्सर सत्ता में रहने के दौरान लगभग सभी विपक्षी नेताओं के साथ तिरस्कार के साथ व्यवहार किया, उनके लिए अपमानजनक टिप्पणियों का इस्तेमाल किया. यही कारण है कि उन्होंने विपक्षी नेताओं को एक बैनर तले एकजुट होने और अपनी सरकार को सफलतापूर्वक गिराने का मौका दिया.