वैशाली:कभी पशु मेले के लिए एशिया में प्रसिद्ध सोनपुर का हरिहर क्षेत्र मेला कई दशकों से थिएटर के लिए भी प्रसिद्ध होता जा रहा है. इस दौरान चकाचौंध डिस्को रोशनी, बमुश्किल बर्दाश्त कर सकने लायक तेज साउंड और मंच पर एक साथ 50 से भी ज्यादा खूबसूरत लड़कियां लोगों के दिलों की धड़कनें बढ़ातीं हैं.
सोनपुर मेले की थियेटर गर्ल्स की दर्द भरी दास्तां: लड़कियों के अदा और जुल्फों के दीवाने बिहार के कोने-कोने से खींची सोनपुर में लगे थिएटर में आ जाते हैं. लेकिन इन लड़कियों के चेहरे पर थोपी गई मोटी मेकअप की परत के पीछे एक और चेहरा दिखता है. यह चेहरा थिएटर के ग्लैमर से अलग मजबूरी का चेहरा होता है.
बनारस की स्नेहा की ये है कहानी:बनारस से सोनपुर आई डांसर स्नेहा ने अपना दर्द साझा किया. उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि घर में छोटी बहन और मम्मी है. पापा नहीं है इसलिए हम लोग इस लाइन में आए हैं. कुछ लोग ठीक समझते हैं ज्यादा लोग गलत नजर से ही देखते हैं. यहां का माहौल अच्छा रहता है. आपको प्रॉब्लम नहीं होती. कोई छेड़खानी नहीं होती. कोई कमेंट करता है तो उस पर हम ध्यान नहीं देते हैं.
"कई लोग बहुत शौक से भी करते हैं लेकिन हम लोग तो मजबूरी में ही आए हैं. मेरा घर नहीं है. मुझे घर बनवाना है. फैमिली प्रॉब्लम भी बहुत ज्यादा है. हम लोग बहुत गरीब घर से इसलिए आए हैं. पब्लिक है उनका काम कुछ न कुछ कहना है. कोई तारीफ भी करता है. बहुत लोग कमेंट करते हैं लेकिन उसपर पर ध्यान नहीं देते हैं."-स्नेहा, बनारस
मजबूरी ही नहीं ग्लैमर भी है कारण:ऐसा नहीं है कि थिएटर में सिर्फ मजबूरी में ही लड़कियां आती हैं. कई लड़कियां ग्लैमर और पैसे के लिए भी थिएटर में आती हैं. बावजूद यह कहा जा सकता है कि सोनपुर का थिएटर बदनाम है. फिर भी रोजी-रोटी यहां लड़कियों को खींच लाती है. इसी क्रम में पंजाब से आई रिया, दिल्ली से आई निक्की और बनारस से आई स्नेहा की भी अपनी अपनी दास्तां है.
गरीबी ने पहुंचाया थियेटर: किसी के पिता सरकारी नौकर हैं, बावजूद जुए की लत में कर्ज हो गया है. पिता के कर्ज को बेटी स्टेज पर डांस करके चुका रही है. वहीं किसी को अपना घर बनाना है. किसी के पिता नहीं है सिर्फ मां है तो घर चलना है.
पिता के जुए की लत ने निक्की को बनाया डांसर: वहीं दिल्ली की निक्की भी सोनपुर मेले में ठुमके लगाने की तैयारी कर रही है. उन्होने कहा कि सभी कलाकार अपनी कला दिखाते हैं. मेरी फैमिली प्रॉब्लम है. थिएटर में आने के पीछे थोड़ा फाइनेंशियल प्रोब्लम है. मैं अपने पापा की हेल्प करना चाहती हूं. मेरे पापा को भी लगता है मेरी बेटी है लेकिन बेटे का फर्ज ज्यादा निभा रही है.