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पद्मश्री शैवाल गुप्ता की बेटी बोलीं- 'पिता के कारवां को आगे बढ़ाऊंगी, बिहार के विकास के लिए करती रहूंगी काम'

आजीवन बिहार के विकास की चिंता करने वाले अर्थशास्त्री शैवाल गुप्ता को पद्मश्री पुरस्कार (Economist Shaibal Gupta gets Padma Shri Award) दिया गया है. केंद्र सरकार ने मरणोपरांत उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया. उनकी बेटी अस्मिता गुप्ता ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि 'मैं उनके सपनों को सच करने की कोशिश करूंगी और बिहार के विकास के लिए काम करती रहूंगी.'

PADMA SHRI SHAIBAL GUPTA
पद्मश्री शैवाल गुप्ता की बेटी

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Published : Jan 26, 2022, 10:11 PM IST

पटना : बिहार के चर्चित अर्थशास्त्री दिवंगत डॉक्टर शैवाल गुप्ता (Doctor Shaibal Gupta of Bihar) को मरणोपरांत साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. शैवाल गुप्ता को मरणोपरांत पद्मश्री मिलने से परिजनों में खुशी का माहौल है. सूचना मिलते ही परिजनों के आंसू छलक पड़े. इस दौरान उनकी बेटी अस्मिता गुप्ता ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान अपनी भावना प्रकट की.

शैवाल गुप्ता ने आजीवन बिहार के विकास की चिंता की. बजट मामलों के वह जानकार माने जाते थे. शैवाल गुप्ता के पिताजी चिकित्सक थे और वो गांव में प्रैक्टिस करते थे. और फीस 2 रुपए लेते थे. पिता के कारवां को शैवाल गुप्ता ने आगे बढ़ाया. वो आजीवन बतौर अर्थशास्त्री बिहार के विकास के लिए काम करते रहे. बिहार सरकार को वह समय-समय पर सुझाव भी दिया करते थे. पद्म श्री पुरस्कार मिलने पर पूरा परिवार खुश है.

अर्थशास्त्री शैवाल गुप्ता को पद्मश्री पुरस्कार

शैवाल गुप्ता की बेटी अस्मिता गुप्ता ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि पूरे परिवार के लिए यह खुशी का क्षण है. मैं केंद्र सरकार का शुक्रिया अदा करती हूं. मेरे पिता आज अगर जीवित होते तो पूरे परिवार की खुशी में चार चांद लग जाती. अस्मिता ने कहा कि मेरे पिता चाहते थे कि मैं बिहार में रहकर काम करूं, मैं उनके सपनों को सच करने की कोशिश करूंगी और बिहार के विकास के लिए काम करती रहूंगी.

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बता दें कि प्रसिद्ध अर्थशास्त्री, सेंटर फॉर इकोनॉमिक पॉलिसी एंड पब्लिक फाइनेंस के पूर्व निदेशक और आद्री के पूर्व सदस्य सचिव शैवाल गुप्ता को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया जा रहा है. शैवाल गुप्ता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निकट रहने वाले उन खास लोगों में थे जो बहुत बेहतर आर्थिक समझ रखते थे. पिछले साल 28 जनवरी को उनका निधन पटना में हुआ था. वो गंभीर बीमारी से जूझते रहे, लेकिन बहुत कम लोग यह जान पाए. वे इतने जीवंत इंसान थे कि हरदिल अजीज थे. उनके गुरु प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी ने भी उनको पुरस्कार देने की घोषणा पर खुशी जाहिर की है.

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