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Last Santoor maker: कश्मीर के अंतिम संतूर निर्माता पद्म श्री गुलाम जाज, कला को बचाने की गुहार - कश्मीर के अंतिम संतूर निर्माता गुलाम जाज

संतूर पर कश्मीरी पहाड़ी धुन की मिठास का एक अलग ही आनंद है. संतूर एक बेहद कर्णप्रिय वाद्ययंत्र है. लेकिन दुखद बात यह है कि इसे बनाने वाले कश्मीर घाटी में केवल एकमात्र शख्सियत रह गए हैं और वह हैं गुलाम मुहम्मद जाज. पढ़ें इस बारे में पूरी रिपोर्ट...

Etv BharatKashmir's last santoor maker Padma Shri Ghulam Muhammad Jaz (file photo)
Etv Bharatकश्मीर के अंतिम संतूर निर्माता पद्म श्री गुलाम मुहम्मद जाज ( फाइल फोटो)

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Published : Feb 11, 2023, 10:23 AM IST

श्रीनगर: गुलाम मुहम्मद जाज घाटी में संतूर बनाने के उस्ताद माने जाते हैं. यह कहना अप्रासंगिक नहीं होगा कि वह कश्मीर में एकमात्र संतूर निर्माता हैं. क्योंकि यह जाज परिवार की आखिरी और आठवीं पीढ़ी है. श्रीनगर के जैन कदल इलाके के रहने वाले 75 वर्षीय गुलाम मुहम्मद ने इसे आज भी सहेज कर रखा है.

उस्ताद शिल्पकार गुलाम मुहम्मद द्वारा बनाए गए संतूर को न सिर्फ देश के नामी कलाकारों शिव कुमार और भजन सूपुरी ने बजाया है, बल्कि उनके बनाए संतूर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उतारा है. गुलाम मुहम्मद ज़ाज को इसी साल 26 जनवरी को देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया. संगीत वाद्ययंत्र बनाना ज़ाज परिवार का पेशा रहा है और गुलाम मुहम्मद ने यह कला अपने दादा और पिता से सीखी और बाद में उन्होंने इस पेशे को अपना लिया.

न केवल अपनी एक अलग पहचान बनाने के लिए बल्कि अपने बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए भी. पद्मश्री गुलाम मोहम्मद जाज ने ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता परवेजउद्दीन से बात करते हुए कहा कि वैसे तो हमारे पूर्वज शास्त्रीय संगीत में इस्तेमाल होने वाले लगभग सभी वाद्य यंत्र बनाते थे, लेकिन जिस वाद्य यंत्र से जाज परिवार को और प्रसिद्धि दिलाई, वह संतूर है.

इस तरह के संतूर को बनाने के लिए पुरानी और विशेष लकड़ी के अलावा अन्य उपकरणों की आवश्यकता होती है, जिसके बाद संतूर तैयार किया जाता है. गुलाम मोहम्मद जाज को संतूर बनाने का ऑर्डर देश ही नहीं विदेशों से भी मिलता है. उनका कहना है कि यह काम बहुत धैर्य वाला है और इस काम ने मुझे पैसा और शोहरत के साथ-साथ मान-सम्मान भी दिया है.

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जब तक जिंदा हूं, इस कला को आगे बढ़ाऊंगा. पद्मश्री गुलाम मुहम्मद जाज संतूर बनाने वाले कश्मीर के आखिरी कारीगर हैं. ऐसे में इस कला को नई पीढ़ी को उनके मार्गदर्शन में हस्तान्तरित करने के लिए सरकारी स्तर पर कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि संतूर बनाने की इस प्राचीन कला को जीवित रखा जा सके.

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