सागर। बुंदेलखंड में पान की खेती का चलन काफी पुराना है. यहां का देशी बंगला पान सिर्फ बुंदेलखंड में ही नहीं, पूरे मध्यप्रदेश और देश भर में अपने स्वाद के लिए मशहूर है. इतना ही नहीं, पड़ोसी मुल्कों में भी बुंदेलखंड के बंगला पान का निर्यात होता है. लेकिन धीरे-धीरे पान की खेती दम तोड़ रही है और पान का उत्पादन करने वाले किसान बदहाली की कगार पर पहुंच रहे हैं. हालात ये है कि, फसल उगाने के लिए पान उत्पादक किसानों को सरकार से कोई सहायता या सब्सिडी नहीं मिलती है और ना ही पान फसल बीमा का प्रावधान है. फसल का नुकसान होने पर लागत के अनुसार मुआवजा मिलता है. वहीं दूसरी तरफ गुटखा पाउच बाजार में आने के कारण पान का चलन तेजी से घट रहा है. किसान चाहते हैं कि पान की खेती को उद्यान की फसलों के दायरे में लाया जाए, ताकि उनको फसल उत्पादन के लिए सब्सिडी और बीमा का प्रावधान हो और फसल के नुकसान पर उचित मुआवजा मिल सके.
बुंदेलखंड में कहां-कहां होती है पान की खेती: मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड में सागर और छतरपुर जिले में बड़े पैमाने पर पान की खेती होती है. सागर के बलेह, छपरा, सहजपुर और देवरी में पान की खेती होती है. वहीं छतरपुर के महाराजपुर, गढ़ीमलहरा, लवकुश नगर, बारीगढ़, दिदवारा, पिपट और पनागर में भी पान की खेती होती है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के महोबा में भी पान की खेती होती है. कहा जाता है कि 1707 में जब महाराजा छत्रसाल ने बुंदेलखंड पर राज किया, तो यहां के लोगों को रोजगार का साधन जुटाने के लिए पान की खेती शुरू कराई गई थी. इसके अलावा बुंदेलखंड के दमोह, पन्ना और टीकमगढ़ में कुछ गांवों में भी पान की खेती का चलन है. बुंदेलखंड में करीब 25 हजार एकड़ में पान की खेती होती है, जिसमें करीब 20 हजार किसान पान की खेती करते हैं.
बुंदेलखंड से पाकिस्तान तक पहुंचा देशी बंगला पान: 17वीं शताब्दी में जब बुंदेलखंड में महाराज छत्रसाल का राज था, तब उन्होंने पान की खेती शुरू करवाई थी. साथ ही साथ उन्होंने किसानों को बढ़ावा देने के लिए खेती को पर्याप्त संरक्षण दिया था. खेती के लिए बीज से लेकर खेती में काम आने वाली सभी व्यवस्थाएं रियासत काल में राजा की मदद से होती थी. इसका परिणाम ये हुआ कि बुंदेलखंड का पान सिर्फ बुंदेलखंड में मशहूर ना होकर देश भर में मशहूर हुआ. यहां का बंगला पान भारत देश की सरहदों को पार कर मुस्लिम देशों तक पहुंच गया. पाकिस्तान, बांग्लादेश और दूसरे कई मुस्लिम देश बड़े पैमाने पर देशी बंगला पान का आयात करते हैं.
काफी महंगी होती है पान की खेती: मौजूदा हालातों पर गौर करें, तो पान की खेती काफी महंगी भी होती है. एक एकड़ में पान की खेती करने के लिए किसान को करीब एक लाख रूपए की लागत आती है. पान की खेती के लिए पान के बीज की व्यवस्था के अलावा सागौन की लकड़ी, चारा और सनोरा की जरूरत होती है. इसके बाद कीटनाशक और लगातार पानी की व्यवस्था भी करनी होती है, जो काफी महंगा सौदा होता है. लगातार बढ़ती महंगाई और सरकार की तरफ से किसी तरह की सब्सिडी ना होने के कारण किसानों को पान की खेती काफी महंगी पड़ने लगी है.