भोपाल :मध्यप्रदेश में शराब फिर चार लोगों की जिंदगी लील गई. अबकी बार छतरपुर जिले के परेथा गांव में शराब जानलेवा बनी, तेरहवीं में शामिल होने पहुंचे मृतकों को क्या पता था कि जो शराब वो किसी की मौत की तेरहवीं पर पी रहे हैं, वही उनकी जान ले लेगी, लेकिन सवाल उठता है कि सरकारी तंत्र क्यों फेल हो रहा है, क्या शराब जहरीली हो गई है या सिस्टम में 'जहर' भर गया है. क्यों नहीं सरकार इस जहर को उखाड़ फेंकती, कब तक मध्यप्रदेश में जहरीली शराब पीने से मौत होती रहेंगी ?
मुरैना के बाद छतरपुर शराब कांड
मुरैना में जहरीली शराब से 27 लोगों की मौत हो गई थी, तब खूब वादे किए गए माफिया नहीं बचेगा, उखाड़ देंगे, गाड़ देंगे, पाताल से भी खोज निकालेंगे, लेकिन वहीं ना चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात ! ताजा मामला छतरपुर के परेथा गांव से है, जानकारी के अनुसार जिले के हरपालपुर थाना क्षेत्र अन्तर्गत ग्राम परेथा में गांव के ही शीतल अहिवार की पत्नी की तेरहवीं थी. जिसमें रिश्तेदार सहित ग्रामीण शामिल हुए, लेकिन वो रीति-रिवाज हैं ना जो कहते हैं दुख हो तो शराब खुशी हो तो शराब, तो शीतल अहिवार ने भी पत्नी के दुख में शराब पिला दी, लेकिन शीतल अहिवार शायद ये भूल गए कि मध्यप्रदेश में देसी शराब या यूं कहें भट्टी की शराब जहरीली हो गई हैं, इसे पीकर मौत होती है, क्या पता उन्हें पता भी रहा हो, लेकिन उनकी हैसियत अंग्रेजी शराब पिलाने की नहीं रही होगी. खैर शराब पी गई और चार लोगों ने दम तोड़ दिया, जबकि कई बीमार हैं. ये तमाचा था उन लोगों पर जो शराब दुकानें बढ़ाने की वकालत कर रहे थे, जिन्हें सिर्फ और सिर्फ रेवन्यू चाहिए ?
जहरीली शराब पर सियासत?
छतरपुर में चार लोगों की शराब पीने से मौत के बाद फिर प्रदेश की राजनीति गर्मा गई है. मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ फिर ट्वीट कर शिवराज सरकार को घेरा है. कमलनाथ ने लिखा उज्जैन में ज़हरीली शराब से 14 की, मुरैना में 25 की मृत्यु के बाद अब छतरपुर में शराब से 4 लोगों की दुखद मौत ? शिवराज जी, ये शराब माफिया कब तक यूं ही लोगों की जान लेते रहेंगे ? आख़िर “ये माफिया कब गड़ेंगे, कब टगेंगे, कब लटकेंगे, आपका बदला हुआ मूड कब इन माफ़ियाओ को दिखेगा ?
कमलनाथ का गुस्सा यहीं नहीं रुका और फिर ट्वीट किया...
रेत माफिया, भू माफिया, वन माफिया, शराब माफिया सब तरह के माफिया आपकी सरकार आते ही वापस बेख़ौफ़, रोज सरकार को दे रहे हैं खुली चुनौती ? आपके सारे दावे जुमले साबित हो रहे हैं. दरअसल मुरैना में जब जहरीली शराब से 27 मौतें हुई थी तो उसके बाद प्रदेश में शराबबंदी की मांग तेज हो गई थी, कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में पूर्ण शराबबंदी की वकालत की थी. यहां तक कि प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी प्रदेश में शराबबंदी की बात कही थी, लेकिन गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का मानना है कि प्रदेश में शराब दुकानों की संख्या कम होने के कारण अवैध और जहरीली शराब की बिक्री बढ़ रही है. इस पर अंकुश लगाने के लिए जरूरी है कि शराब दुकानों की संख्या बढ़ाई जाए, जिससे लोग अवैध और जहरीली शराब पीने मजबूर ना हो, लेकिन अपने पिछले मुख्यमंत्री कार्यकाल में शिवराज सिंह लगातार यह वादा और दावा करते रहे हैं कि प्रदेश में नई शराब दुकान नहीं खोली जाएंगी. मध्यप्रदेश में तत्कालीन कमलनाथ सरकार में प्रदेश की माली हालत देखते हुए जब शराब के जरिए राजस्व बढ़ाने की पहल करते हुए शराब दुकानों की संख्या बढ़ाने की कोशिश की गई, तो बीजेपी ने और खुद शिवराज सिंह ने जमकर विरोध किया था.
एक साल में MP में जहरीली शराब से 50 से ज्यादा मौतें