दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

राज्यसभा का 257वां सत्र हंगामे के कारण 47 घंटे बाधित रहा, सभापति नायडू ने जताई चिंता

राज्यसभा की कार्यवाही सोमवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने पर निवर्तमान सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि उच्च सदन के 257वें सत्र में व्यवधान के कारण 47 घंटे से अधिक समय बर्बाद हो गया, जिससे संसद के कामकाज पर विपरीत असर पड़ा. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

venkaiah naidu farewell speech
venkaiah naidu farewell speech

By

Published : Aug 8, 2022, 11:05 PM IST

नई दिल्ली: राज्यसभा में मानसून सत्र अपने निर्धारित समय से चार दिन पहले सोमवार को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया और इस दौरान विभिन्न विषयों पर विपक्ष के हंगामे के कारण जहां कामकाज के 47 घंटे बाधित रहे. वहीं मात्र पांच सरकारी विधेयकों को ही पारित किया जा सका. उच्च सदन में मानसून सत्र 18 जुलाई को शुरू होने के बाद महंगाई सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के सदस्यों के हंगामे के कारण कामकाज बाधित रहा. सत्र के दौरान सदन में अमर्यादित आचरण के कारण विपक्ष के 23 सदस्यों को निलंबित किया गया. इन सदस्यों को 26, 27 और 28 जुलाई को उस सप्ताह के शेष दिनों के लिए निलंबित किया गया.

संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई से 12 अगस्त तक चलने का कार्यक्रम था. सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने से पहले अपने पारंपरिक संबोधन में सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि 18 जुलाई को शुरू हुए इस सत्र में कुल 16 बैठकें हुईं. उन्होंने कहा कि इस दौरान 38 घंटे से अधिक काम हुआ, लेकिन व्यवधान के कारण 47 घंटे कामकाज बाधित रहा. उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान नियमित रूप से कामकाज बाधित होता रहा, जिससे सदस्यों ने लोक महत्व के अत्यावश्यक विषयों को सदन में उठाने का अवसर गंवा दिया. उन्होंने कहा कि साथ ही सदस्यों द्वारा पूरक प्रश्न पूछकर कार्यपालिका को जवाबदेह बनाने का अवसर भी गंवा दिया गया.

सभापति ने कहा कि स्वीकृत किए गए 235 तारांकित प्रश्नों में से मात्र 61 का ही मौखिक रूप से उत्तर दिया जा सका. उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान केवल पांच सरकारी विधेयकों को चर्चा कर पारित किया जा सका. 27 गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयक भी पेश किए गए और पूरे सत्र के दौरान 'स्वास्थ्य के अधिकार' के संबंध में केवल एक सदस्य के निजी विधेयक पर आंशिक रूप से चर्चा की जा सकी. कोई गैर-सरकारी सदस्य संकल्प नहीं लिया जा सका.

इससे पहले, सोमवार को उच्च सदन में सभापति नायडू को विदाई दी गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मादी, सदन के नेता पीयूष गोयल, नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित विभिन्न दलों के नेताओं और कई सदस्यों ने नायडू के योगदान की सराहना की. सभापति के रूप में नायडू का कार्यकाल दस अगस्त को समाप्त होने जा रहा है. नायडू ने कहा कि ये पिछले पांच साल उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण, ज्ञानवर्धक और स्फूर्तिदायक वर्ष रहे हैं. नायडू ने कोरोना महामारी के दौरान केंद्र और राज्य सरकारों की त्वरित कार्रवाइयों की सराहना की.

अन्य देशों के नेताओं के साथ अपनी बातचीत पर प्रकाश डालते हुए, नायडू ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रों के समूह में भारत की छवि में एक स्पष्ट परिवर्तन देखा है. नायडू ने कहा कि इस अनुभव से विकसित तालमेल और समझ ने उन्हें राज्यसभा में उत्पादकता बढ़ाने और कई ऐतिहासिक कानूनों के पारित होने की निगरानी करने में मदद की. उन्हें उम्मीद थी कि राजनीतिक दल और सदन में उसके सदस्य भारतीय संसद के कद के अनुरूप कार्य करेंगे.

भारत की आजादी के 75 साल के जश्न पर प्रकाश डालते हुए नायडू ने कहा कि भारत ने इन वर्षों में एक लंबा सफर तय किया है, लेकिन अभी भी प्रगति के रास्ते में कई विकट बाधाएं हैं जिन्हें पहचाना जाना चाहिए और उन्हें दूर किया जाना चाहिए. नायडू ने कहा, 'सभी नागरिकों को संसाधनों और अध्ययन, काम करने और एक प्रबुद्ध, सशक्त व्यक्ति के रूप में विकसित होने के अवसरों तक समान पहुंच सुनिश्चित करने की आवश्यकता है.'

यह भी पढ़ें- विदाई समारोह में जब मां का नाम आया, तो वेंकैया नायडू की आंखें हुईं नम

साथ ही नायडू ने संसद के सदस्यों से 3 डी - Dignity (गरिमा), Decency (शालीनता) और Debate (बहस) का पालन करने और चौथे डी - Disruption (व्यवधान) का सहारा न लेने की अपील की. उन्होंने कहा, 'संसद को लगातार बाधित करना लोकतंत्र में व्यवधान है.'

बता दें, मानसून सत्र के दौरान उच्च सदन में जो विधेयक पारित किए गये उनमें राष्ट्रीय रेल और परिवहन संस्थान को गतिशक्ति विश्वविद्यालय में परिवर्तित करने के प्रावधान वाला केंद्रीय विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक, 2022, राष्ट्रीय डोपिंग-रोधी विधेयक, 2022, भारतीय अंटार्कटिक विधेयक 2022 शामिल हैं. उच्च सदन में दो अगस्त को महंगाई के मुद्दे पर करीब चार घंटे तक चर्चा हुई जिसका वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जवाब दिया.

ABOUT THE AUTHOR

...view details