चेन्नई : किसानों और उपभोक्ताओं दोनों, वेल्लोर में शुरू हुए 'नम समधाई' (हमारा बाजार) से लाभ उठाते हैं. यहां पर केवल जैविक खेती के उत्पादों को सस्ते दामों पर बेचा जाता है, जिससे उपभोक्ताओं सस्ते दामों पर उत्पाद खरीदते हैं और किसानों को भी अच्छा मुनाफा मिल जाता है.
वर्तमान समय में ऑर्गेनिक फार्मिंग की धूम है, जो सब्जियों और फलों में लाभ के लिए उपयोग किए जाने वाले कृत्रिम उर्वरक और कृत्रिम कीटनाशकों के बुरे प्रभाव के बारे में लोगों की बढ़ती जागरूकता को दर्शाता है.
इसलिए इस बात में कोई हैरानी नहीं है कि लोग सस्ती कीमतों पर उपलब्ध जैविक खेती के उत्पाद खरीदने के लिए इच्छा और उत्सुकता दिखा रहे हैं.
ऐसे समय में जब वेल्लोर के जैविक किसान अपनी सामान को बेचने के लिए संघर्ष कर रहे थे. ऐसे में वेल्लोर के जिलाधिकारी शनमुगसुंदरम ने नाम समधाई (हमारा बाजार) की शुरुआत की.
फिलहाल महिला विकास योजना के तहत तमिलनाडु राज्य ग्रामीण और शहरी आजीविका मिशन किसानों के साथ संयुक्त रूप से जैविक किसानों के लिए इस विशेष बाजार का संचालन कर रहा है.
इसके अलावा बाजार में एक रिवॉलविंग लाइब्रेरी भी काम कर रही है, जहां किसानों और उपभोक्ताओं को जैविक खेती संबंधित जानकारी देती है. यहां कृषि और सरल देशी दवाओं की किस्मों के बारे में बहुत सारी किताबें उपलब्ध हैं.
प्रत्येक रविवार को सुबह 6 बजे से 11 बजे तक वेल्लोर में पूमालाई कॉम्प्लेक्स में बाजार लगता है. अब तक यह बाजार 53 बार लग चुका है.
बाजार के समन्वयक सेंथमीज सेलवन का कहना है कि यह 'नम समधाई' कोरोना के समय भी काम कर रहा था. जाहिर है, इस दौरान कोरोना संबंधित सभी सुरक्षा उपाय का पालन किया गया.
कोरोना को देखते हुए सब्जियों और फलों को लोगों के घर पर बेचा गया. कई शिक्षित युवा स्वयंसेवकों बाजार का समर्थन कर रहे हैं.
पर्यावरण संरक्षण की पहल के हिस्से के रूप में, प्लास्टिक की थैलियों को बाजार में लाने की अनुमति नहीं है. उपभोक्ताओं को अपने साथ कपड़े के थैले लाने के निर्देश दिए गए हैं.
सेंथमीज सेलवन ने कहा कि जैविक किसान बड़े पैमाने पर इस 'नम समधाई' का समर्थन कर रहे हैं, निम्नलिखित आंकड़ों से स्पष्ट है: अब तक 170 किसानों ने बाजार के साथ पंजीकरण किया है.