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शिंजियांग पर भारत ने चीन का दिया साथ, विदेश मंत्रालय ने बताई वजह - Our position on Xinjiang is clear

चीन के अशांत शिंजियांग क्षेत्र में मानवाधिकार की स्थिति पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में मसौदा प्रस्ताव पर भारत ने मतदान में भाग नहीं लिया. विदेश मंत्रालय ने इस पर कहा कि 'हम देश विशिष्ट प्रस्तावों का समर्थन नहीं करते हैं.' वहीं, पूर्व राजनयिक अंब अशोक कांथा का कहना है कि इसमें कुछ भी हैरान करने वाला नहीं है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता सौरभ शर्मा की रिपोर्ट.

MEA spokesperson Arindam Bagchi
विदेश मंत्रालय

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Published : Oct 7, 2022, 7:51 PM IST

Updated : Oct 7, 2022, 8:34 PM IST

नई दिल्ली :भारत ने शिंजियांग क्षेत्र में मानवाधिकार की स्थिति (Human rights in Xinjiang) पर चर्चा के लिए यूएनएचआरसी में एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया. इसके एक दिन बाद भारत ने कहा कि चीन के अशांत शिंजियांग क्षेत्र में मानवाधिकार की स्थिति पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान में भाग नहीं लेना 'देश विशिष्ट प्रस्ताव पर मतदान में' हिस्सा नहीं लेना लंबे समय से चली आ रही स्थिति के अनुरूप है.शिंजियांग पर हमारी स्थिति स्पष्ट है.'

शिंजियांग में मानवाधिकारों के सम्मान का आह्वान करते हुए, जहां कई रिपोर्टों में चीनी पक्ष पर अत्यधिक अत्याचार और मानवाधिकारों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है. विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि संबंधित पक्ष स्थिति को निष्पक्ष और ठीक से संबोधित करेगा.'

'ईटीवी भारत' से बात करते हुए चीन में दूत के रूप में सेवा दे चुके अनुभवी राजनयिक अंब अशोक कांथा (सेवानिवृत्त) (Amb Ashok Kantha) ने कहा, 'यूएनएचसीआर में भारत की अनुपस्थिति भारत की नीति के तहत है, इसमें कुछ भी दिलचस्प नहीं है. विशिष्ट देशों द्वारा बुलाए गए ऐसे संकल्प का हम आमतौर पर समर्थन नहीं करते हैं.'

बिगड़ते चीन-भारत संबंध और भारत ने वोटिंग से क्यों परहेज किया? इस सवाल पर अंब अशोक कांथा ने कहा कि 'हमें एलएसी पर चीन के साथ समस्या है और हम इन मुद्दों को देख रहे हैं लेकिन शिजियांग में मानवाधिकार के इस मुद्दे को हम मानवाधिकारों के उल्लंघन पर अपनी नीति के संदर्भ में देख रहे हैं.'

गौरतलब है कि शिंजियांग की स्थिति पर मसौदा प्रस्ताव कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, यूके और यूएस के एक समूह द्वारा प्रस्तुत किया गया था. तुर्की सहित कई देशों ने इसे सह-प्रायोजित किया था.

सैंतालीस सदस्यीय परिषद में यह मसौदा प्रस्ताव खारिज हो गया, क्योंकि 17 सदस्यों ने पक्ष में तथा चीन सहित 19 देशों ने मसौदा प्रस्ताव के विरुद्ध मतदान किया. भारत, ब्राजील, मैक्सिको और यूक्रेन सहित 11 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. यह वैश्विक दक्षिण के बीच एकता का प्रदर्शन था. दिलचस्प बात यह है कि भारत, यूक्रेन और आर्मेनिया ने भू-राजनीतिक हलकों में इसका क्या असर होगा इसकी चिंता नहीं की.

चर्चा करने के खिलाफ मतदान करने वाले देशों में बोलीविया, कैमरून, चीन, क्यूबा, ​​​​इरिट्रिया, गैबॉन, इंडोनेशिया, आइवरी कोस्ट, कजाकिस्तान, मॉरिटानिया, नामीबिया, नेपाल, पाकिस्तान, कतर, सेनेगल, सूडान, संयुक्त अरब अमीरात, उज्बेकिस्तान और वेनेजुएला थे.

गौरतलब है कि पाकिस्तान जो खुद को मुसलमानों का रक्षक कहता है, उसने चीन का साथ दिया. विशेषज्ञों के अनुसार ये मानवाधिकारों के मुद्दे पर उसके दोहरेपन को दर्शाता है.

अमेरिकी राजदूतों का पाकिस्तान और पीओजेके का दौरा : पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत डोनाल्ड ब्लोम (Donald Blome) ने इस सप्ताह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) का दौरा किया और इसे उस नाम से बुलाया जिसे पाकिस्तान कब्जे वाले क्षेत्र के लिए उपयोग करता है: 'आजाद जम्मू कश्मीर'. इस घटना ने भारतीय विदेश मंत्रालय की भौंहें चढ़ा दीं हैं. हालांकि विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया कि ऐसा रूस पर भारत की स्थिति के कारण है.

साथ ही भारत ने आतंकवाद का मुकाबला करने के नाम पर पाकिस्तान को अमेरिका के 450 मिलियन डॉलर के एफ-16 सहायता पैकेज पर कड़ा विरोध किया है. इस मुद्दे को हमारे विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने भी वाशिंगटन में उठाया था. उन्होंने कहा था 'मुझे आशा है कि आप' किसी को बेवकूफ नहीं बना रहे हैं.'

शुक्रवार के साप्ताहिक प्रेस कॉन्फेंस में MEA ने दोहराया कि भारत ने पाकिस्तान को सैन्य पैकेज पर अपनी चिंता व्यक्त की है. 'भारत ने अमेरिकी राजनयिक द्वारा PoJK को आजाद कश्मीर कहने का मुद्दा उठाया है.

इस पर जाने-माने रणनीतिकार ब्रह्म चेलानी (Brahma Chellaney) ने ट्वीट किया कि 'बाइडेन का अभी भी नई दिल्ली में कोई राजदूत नहीं है, लेकिन पाकिस्तान में उनके दूत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का दौरा किया. इसे 'पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर' नहीं कहा जैसा कि संयुक्त राष्ट्र इसे लेबल करता है. उन्होंने इसे 'आजाद जम्मू-कश्मीर' कहा. हालांकि यह बढ़ते हुए स्वतंत्रता आंदोलन से प्रभावित है.'

पूर्वी और दक्षिणी हिस्से में लुहान्स्क डोनेट्स्क, खेरसॉन और ज़ापोरिज्ज्या सहित यूक्रेन के चार क्षेत्रों के रूस के कब्जे के मुद्दे पर विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को दोहराया कि 'इस पर भारत की स्थिति स्पष्ट है.'

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Last Updated : Oct 7, 2022, 8:34 PM IST

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