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भारत और चीन के साथ हमारी मित्रता हमारी विदेश नीति के लिए 'सर्वाधिक महत्वपूर्ण' है: नेपाल

नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खड़का ने यूएनजीए में कहा कि विश्व को लेकर नेपाल का दृष्टिकोण 'सभी के साथ मित्रता और किसी से शत्रुता नहीं' के सिद्धांत पर आधारित है.

नारायण खड़का
नारायण खड़का

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Published : Sep 28, 2021, 3:13 PM IST

संयुक्त राष्ट्र : नेपाल के नए विदेश मंत्री नारायण खड़का ने 76वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में कहा कि नेपाल की अपने दोनों पड़ोसी देशों भारत और चीन के साथ मित्रता उसकी विदेश नीति के लिए 'सर्वाधिक महत्वपूर्ण' है. खड़का ने सोमवार को महासभा की आम चर्चा के अंतिम दिन कहा कि विश्व को लेकर नेपाल का दृष्टिकोण 'सभी के साथ मित्रता और किसी से शत्रुता नहीं' के सिद्धांत पर आधारित है.

उन्होंने कहा कि नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व वाली सरकार 'संप्रभु समानता, आपसी सम्मान और साझा हित के आधार पर विदेश नीति को आगे बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्ध है और वह वृहद अंतरराष्ट्रीय समुदाय में सभी मित्रवत देशों के साथ संवाद कायम रखती है.'

खड़का ने कहा, 'हमारे दोनों पड़ोसियों भारत एवं चीन के साथ हमारी मित्रता हमारी विदेश नीति को आगे बढ़ाने के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण है. यह नीति नेपाल के प्रबुद्ध पुत्र भगवान बुद्ध की शिक्षाओं से प्रेरित शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के पांच सिद्धांतों, पंचशील पर आधारित है.'

खड़का को 22 सितंबर को नेपाल का विदेश मंत्री बनाया गया. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों के खाके के रूप में इन सिद्धांतों की प्रासंगिकता वर्तमान संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण है.

उन्होंने कहा, 'संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांत एवं उद्देश्य, गुटनिरपेक्षता, अंतरराष्ट्रीय कानून और विश्व शांति के मापदंड हमारी विदेश नीति के आधार हैं.'

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को यहां महासभा सत्र के इतर खड़का से मुलाकात की थी और ट्वीट किया था, 'अपने नए नेपाली समकक्ष डॉ. नारायण खड़का का स्वागत करके खुशी हुई. हमने सहमति जताई कि हमें हमारे विशेष संबंधों को आगे ले जाने के लिए निकटता से मिलकर काम करना चाहिए.'

जयशंकर ने नेपाल का विदेश मंत्री बनने पर नारायण खड़का को पिछले सप्ताह बधाई दी थी और कहा था कि वह उनके साथ काम करने को लेकर उत्साहित हैं.

खड़का ने महासभा में कहा, 'हम मुश्किल समय में हैं'. उन्होंने कहा कि शीत युद्ध के बाद के दौर में भूराजनीति एवं भू-अर्थशास्त्र में एक नाटकीय बदलाव आया है, जिसने सभी मोर्चों पर अभूतपूर्व चुनौतियां पैदा की हैं.

उन्होंने कहा, 'दुनिया का आर्थिक केंद्र निर्णायक रूप से एशिया की ओर जा रहा है. एशिया की अर्थव्यवस्था चीन और भारत के आर्थिक विकास पर केंद्रित है. इसी के साथ दुनिया और जटिल एवं ध्रुवीकृत होती जा रही है. दुनिया के सभी देशों के सामने आतंकवाद से लेकर जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, बड़े पैमाने पर पलायन, राजनीतिक कट्टरवाद और अतिवाद जैसी चुनौतियां हैं.'

खड़का ने कहा कि इन सभी कारकों के सामूहिक प्रभाव के कारण 'हम संशय एवं अनिश्चितता के बीच नए तरीके से जीवन जी रहे हैं. हम दुनिया के विभिन्न हिस्सों में संघर्ष देख रहे हैं. ये देशों के बीच होने के बजाय उनके अपने आंतरिक संघर्ष अधिक हैं. इसने पहचान की राजनीति को बढ़ावा दिया है. देश नस्ल, जाति, लिंग एवं धर्म के आधार पर तेजी से बंट रहे हैं.'

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इन अकल्पनीय समस्याओं का सामना करने के लिए सहिष्णुता एवं सद्भाव से काम करने तथा एक 'साझा आधार' खोजने की अपील की.

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खड़का ने विश्व के नेताओं को संबोधित करते हुए वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई में हिमालयी देश की मदद करने के लिए भारत और चीन का आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा, 'हम कोविड संकट से निपटने में मदद करने के लिए हमारे निकट पड़ोसियों भारत एवं चीन के आभारी हैं.'

उन्होंने महामारी के खिलाफ नेपाल की लड़ाई में टीके, महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरण और दवाएं उपलब्ध कराने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और अन्य 'मित्र देशों' को भी धन्यवाद दिया.

खड़का ने आतंकवाद के सभी प्रारूपों की निंदा की. उन्होंने सामाजिक द्वेष, सांप्रदायिक संघर्ष और असहिष्णुता को बढ़ावा देने वाली सभी गतिविधियों की निंदा की. खड़का ने परमाणु हथियारों के आधुनिकीकरण के माध्यम से हथियारों की दौड़ के नए संकेतों को 'चिंताजनक' करार दिया.

(भाषा)

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