दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

अधिकरण सुधार अध्यादेश न्यायिक स्वतंत्रता के लिए खतरा है : कांग्रेस

भारत सरकार ने अधिकरण सुधार (युक्तिकरण और सेवा शर्तें) अध्यादेश 2021 जारी किया है. जो कि कुछ अपीलीय न्यायाधिकरणों को दूर करता है. कांग्रेस पार्टी ने इस कदम को न्यायिक स्वतंत्रता के लिए एक तरह से मौत का झटका कहा है.

Ordinance
Ordinance

By

Published : Apr 7, 2021, 8:50 PM IST

नई दिल्ली : कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा जारी अध्यादेश को 4 अप्रैल को सिनेमैटोग्राफी अधिनियम, कॉपीराइट अधिनियम, सीमा शुल्क अधिनियम, वित्त अधिनियम, ट्रेड मार्क्स अधिनियम और कई अन्य के साथ संशोधित करने के लिए अधिसूचित किया गया था.

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने ट्वीट के जरिए अपनी नाराजगी जाहिर की है. वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने इस मामले को लेकर राज्यसभा के सभापति को पत्र लिखा है. मनीष तिवारी ने ट्वीट किया कि अध्यादेश का नियम अपवाद होना चाहिए. लेकिन एनडीए, बीजेपी ने ऐसा नहीं होने दिया. उनके पास संसद या लोकतंत्र के लिए सम्मानजनक सम्मान नहीं है. वर्तमान अध्यादेश न्यायिक स्वतंत्रता के लिए एक मौत के झटके की तरह है.

स्थायी समिति के पास नहीं भेजा

अपने पत्र में जयराम रमेश ने कहा कि मैं अध्यादेश के गुणों पर आपको नहीं लिख रहा हूं. मैं बस विश्वास के उल्लंघन पर अपनी असहमति व्यक्त करना चाहता हूं. जहां तक ​​विधेयक को स्थायी समिति को संदर्भित नहीं करने की बात है तो क्या इस सरकार से कुछ बेहतर अपेक्षा की जा सकती है? उन्होंने यह भी बताया कि जैसा कि सत्र करीब आ रहा है, कांग्रेस सांसद को राज्यसभा में ट्रेजरी बेंच के फ्लोर मैनेजरों द्वारा सूचित किया गया था कि विधेयक को बजट सत्र में अधूरा नहीं लिया जाएगा, लेकिन इसे स्थायी समिति के पास भेजा जाएगा.

अनुराग ठाकुर ने पेश किया विधेयक

विधेयक को लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा पेश किया गया. जिसका उद्देश्य कम से कम ही सही मौजूदा अपीलीय न्यायाधिकरणों को भंग करना और उच्च न्यायालयों सहित अन्य निकायों को जिम्मेदारियों को हस्तांतरित करना है. चूंकि विधेयक को संसदीय मंजूरी नहीं मिल सकी इसलिए अध्यादेश जारी किया गया.

मनीष तिवारी ने भी लिखा पत्र

इससे पहले कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी ने भी स्पीकर को एक पत्र लिखकर इस मुद्दे को उठाया था. जिसमें कहा गया था कि इस बिल के अध्याय XII में वित्त अधिनियम 2017 की धारा 184 में बड़े संशोधन शामिल हैं. जो सीधे हमारे प्रमुख न्यायाधिकरण के कामकाज और संरचना को प्रभावित करने का वादा करते हैं. उन्होंने उल्लेख किया कि यह केंद्र सरकार को नियुक्तियों, वेतन, निष्कासन, योग्यता आदि के हर पहलू को कवर करने के लिए व्यापक और दूरगामी शक्तियों के साथ निहित करता है.

यह भी पढ़ें-ठाकरे सरकार की 'फजीहत' पर बौखलाई शिवसेना, केंद्र पर फोड़ा ठीकरा

उन्होंने अध्यक्ष से आग्रह किया कि प्रस्तावित संशोधन में किसी भी अंतर्निहित कमजोरियों की गहन समीक्षा के लिए उक्त विधेयक को स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए. कहा कि आप निश्चित रूप से सहमत होंगे कि संशोधनों में जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए.

ABOUT THE AUTHOR

...view details