नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने नागर विमानन महानिदेशक (डीजीसीए) को निर्देश दिया है कि वो उन यात्रियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें जो एयरपोर्ट पर मास्क नहीं पहनते हैं. कार्यकारी चीफ जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा मास्क नहीं पहनने वाले यात्रियों की हवाई यात्रा पर रोक लगाने का आदेश जारी किया जाना चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है और ये कभी भी अपना विकराल रूप दिखा सकता है. सुनवाई के दौरान DGCA की ओर से पेश वकील ने कहा कि एयरपोर्ट और एयरक्राफ्ट में मास्क पहनने को गंभीरता से लागू कर रही है. उसके बाद कोर्ट ने DGCA को निर्देश दिया कि वो 18 जुलाई तक इसे लेकर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें.
एयरपोर्ट और फ्लाइट में नहीं लगाया मास्क तो यात्रियों पर होगी कड़ी कार्रवाई
दरअसल मार्च 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए नागर विमानन महानिदेशक को निर्देश दिया था कि फ्लाइट में कोरोना से संबंधित दिशानिर्देश हर हाल में लागू किए जाएं. जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने कहा था कि कोरोना के दिशानिर्देशों को लेकर एयरलाइंस के कर्मचारी ढिलाई बरत रहे हैं.
दरअसल मार्च 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए नागर विमानन महानिदेशक को निर्देश दिया था कि फ्लाइट में कोरोना से संबंधित दिशानिर्देश हर हाल में लागू किए जाएं. जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने कहा था कि कोरोना के दिशानिर्देशों को लेकर एयरलाइंस के कर्मचारी ढिलाई बरत रहे हैं.
कोर्ट ने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकारों के अलावा जागरूक और कर्तव्यनिष्ठ नागरिक भी अपनी भूमिका निभानी चाहिए. दरअसल जस्टिस सी हरिशंकर 5 मार्च 2021 को कोलकाता से दिल्ली की यात्रा कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने देखा कि कई यात्री बिना मास्क के भी बैठे हुए थे. इसके बाद कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई की. कोर्ट ने कहा कि यात्रा के दौरान कई यात्रियों के मास्क मुंह से नीचे थे. कई यात्री मास्क नहीं पहनना चाह रहे थे.
कोर्ट ने कहा था कि कोरोना के मामले दोबारा बढ़ रहे हैं. ऐसे में किसी भी किस्म की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने कहा था कि फ्लाइट में यात्रा कर रहे यात्री एयरकंडीशन में काफी नजदीक बैठे होते हैं. अगर एक भी यात्री कोरोना से संक्रमित होता है तो यह दूसरे यात्रियों में तेजी से फैल सकता है. ऐसी स्थिति में जिम्मेदार नागरिक का भी कर्तव्य होता है कि वो केंद्र और राज्य सरकारों पर अंगुली उठाने से पहले खुद पहल करे. अगर देश के नागरिक संवेदनशील नहीं होंगे तो कोई भी सरकार कितना भी सक्रिय हो मदद नहीं कर सकती है.