नई दिल्ली: 2023 के बजट सत्र का पहला भाग समाप्त हो गया है. लोकसभा और राज्यसभा दोनों एक महीने के लिए स्थगित हो गए. रेवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) प्रेमा चंद्रन ने लोकसभा में ईटीवी भारत से कहा, 'पूरे सत्र के दौरान हम अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच की मांग उठाते रहे हैं. लेकिन सरकार हमारी एक नहीं सुनती. यह पूरी तरह निरंकुश व्यवस्था है जिसे सरकार चला रही है.'
लोकतंत्र में विपक्ष के महत्व पर जोर देते हुए चंद्रन ने कहा कि विपक्ष के बिना, 'लोकतंत्र नहीं चल सकता.' उन्होंने कहा कि विपक्षी दल अडाणी विवाद की जेपीसी जांच की मांग जारी रखेंगे. राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ की भूमिका का जिक्र करते हुए चंद्रन ने कहा कि सभापति को एक निष्पक्ष भूमिका निभानी चाहिए, जहां सभी दलों को अपनी आवाज उठाने का मौका मिले. इसी विचार को प्रतिध्वनित करते हुए राज्यसभा में कांग्रेस सांसद सैयद नसीर हुसैन ने कहा कि अडानी मुद्दे पर सरकार को किनारे कर दिया गया है.
हुसैन ने कहा, 'अडाणी मुद्दे पर विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों का सरकार के पास कोई जवाब नहीं है. अब यह बहुत स्पष्ट है कि सरकार ने किसी व्यक्ति विशेष की मदद करने के लिए किस तरह से आगे बढ़कर काम किया.' सरकार की भूमिका ने उजागर कर दिया है कि कैसे एक व्यक्ति द्वारा एसबीआई, एलआईसी और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का उपयोग किया गया है. हुसैन ने कहा, 'यहां तक कि श्रीलंकाई प्राधिकरण ने भी एक रिपोर्ट में दावा किया कि सत्तारूढ़ पार्टी के एक फोन कॉल के बाद अडानी को उनके देश में एक दूरसंचार अनुबंध दिया गया था.'
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कांग्रेस सांसद यहां तक कि भाजपा को पिछले कई चुनावों के दौरान अडाणी और उसके धन का उपयोग करने का आश्वासन देते हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस अडानी के साथ संबंध को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ राहुल गांधी के आरोपों का सबूत दे सकती है, हुसैन ने कहा, 'जांच (जेपीसी) शुरू होने दीजिए। हम सभी डिक्समेंट प्रदान करेंगे.' बीजेपी कांग्रेस से राहुल गांधी के मोदी-अडाणी सांठगांठ के आरोपों पर सबूत पेश करने की मांग कर रही है.