नई दिल्ली : महाराष्ट्र में जिस तरह से एनसीपी में टूट-फूट हुई और शरद पवार को जिस तरह का सियासी झटका लगा, उससे पूरे विपक्ष में 'खलबली-सी' मच गई है. वैसे तो विपक्ष ने इस राजनीतिक 'विद्रोह' को तवज्जो नहीं देने का फैसला किया है, लेकिन अंदरखाने यह सबको पता है कि शरद पवार जैसा नेता अगर महाराष्ट्र में अपनी पार्टी को संवारने और मजबूत करने पर लगा रहा, तो देश भर में सभी विपक्षी पार्टियों को एक साथ लेकर आगे चलने की चुनावी 'रणनीति' कौन बनाएगा. पिछले सप्ताह शरद पवार ने ही यह घोषणा की थी कि विपक्षी दलों की अगली बैठक बेंगलुरु में होगी. इससे पहले यह बैठक पटना में हुई थी.
पार्टी में बगावत के दूसरे दिन यानी आज सोमवार को शरद पवार महाराष्ट्र के सातारा पहुंचे. वहां पर उन्होंने अपने समर्थकों से बात की. पार्टी के बचे हुए नेताओं के साथ विचार-विमर्श किया. पवार ने कहा कि वह तीन मीहने में पूरी स्थिति बदल देंगे.
उन्होंने कहा कि एनसीपी में उथल-पुथल होने के बावजूद पूरा विपक्ष एक है. पवार ने नीतीश कुमार, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी और एमके स्टालिन का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के सभी नेताओं ने उन्हें अपना समर्थन दिया है.
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि हमारा लक्ष्य एक है और इससे ध्यान भटकाया नहीं जा सकता है. वह तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर से मिलने पहुंचे थे. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की घटना भाजपा की कमजोरी का परिचायक है. पर, लखनऊ में सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी ओपी राजभर ने जो बयान जारी किया है, उससे सपा में तनाव जरूर व्यपाप्त हो सकता है. राजभर ने कहा कि महाराष्ट्र जैसी स्थिति तो यूपी में भी हो सकती है.
राजभर ने इशारा किया कि समाजवादी पार्टी के कई विधायक और सांसद उनके संपर्क में हैं. यहां यह भी बताना जरूरी है कि पिछले कुछ महीनों से ओपी राजभर सपा से नाराज चल रहे हैं और गाहे-बगाहे ये भी खबरें आती रहीं हैं कि राजभर भाजपा के संपर्क में हैं. वैसे, किसी ने इसकी औपचारिक रूप से पुष्टि नहीं की है.
राजभर के साथ-साथ आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी को लेकर भी तरह-तरह की खबरें आती रहीं हैं. चौधरी विपक्षी दलों की बैठक में शामिल नहीं हुए थे. चौधरी ने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी है. राजनीतिक टिप्पणीकारों की भले ही उनको लेकर तरह-तरह की राय है. केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले भी जयंत चौधरी को मनाने में लगे हुए हैं.
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