पटना :बिहार में 2005 से नीतीश कुमार की अगुवाई में सरकार चल रही है. जबसे नीतीश कुमार ने बिहार की कमान संभाली है किचन कैबिनेट में उनके पसंदीदा अफसरों की लंबी फेहरिस्त रही है. पूरा देश जानता है कि नीतीश कुमार ब्यूरोक्रेसी के खासे पसंदीदा नेताओं में से एक हैं.
अफसरों के दम पर नीतीश कुमार ने बिहार में विकास की नई गाथा लिखी है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में बिहार के कई काबिल और ईमानदार छवि के अधिकारी आखिर क्यों बिहार से मुंह फेर लिए हैं? इस सवाल पर गाहे-बगाहे सत्ता के गलियारे में चर्चा में होती है.
लॉकडाउन के दौरान आईएएस अधिकारी अफजल अमानुल्लाह ने तो सार्वजनिक तौर पर बिहार के अफसरों के बारे में खुलकर कहा था. अमानुल्लाह बिहार में गृह विभाग और स्वास्थ्य विभाग सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं. वह कई मुख्यमंत्री के खास रह चुके हैं. उन्होंने तो यहां तक का डाला कि बिहार की ब्यूरोक्रेसी काफी काबिल है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से वह अच्छा परफॉर्मेंस नहीं कर पा रहे हैं.
राजनीतिक चिंतक प्रेम कुमार मणि ने कहा 'जो अफसर नीतीश कुमार की चापलूसी करते हैं. उन्हें अच्छा ओहदा दिया जाता रहा है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण वर्तमान में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने पूर्व आईएएस अधिकारी आरसीपी हैं. आखिर क्या कारण है कि जो अफसर बिहार से बाहर चले जा रहे हैं वापस नहीं आना चाहते? वह अधिकारियों से पार्टी हित में काम करवाते हैं. जिसमें कई ईमानदार छवि के अधिकारी फिट नहीं बैठते. आज भी जो ईमानदार अधिकारी अन्य राज्यों में काम कर रहे हैं. अगर वह बिहार वापस लौटेंगे तो उन्हें अपमानित किया जाएगा.'
आरोप बेबुनियाद : अरविंद निषाद