नई दिल्ली :आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी क्या विपक्ष एकता का नया अवसर साबित होगा. इस सवाल का जवाब तो खैर भविष्य के गर्भ में है. लेकिन वर्तमान में जो हो रहा है वह भी कम रोचक नहीं है. दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल को विपक्ष के कई नेताओं और पार्टियों का समर्थन मिल रहा है. भारत राष्ट्र समिति प्रमुख तेलंगाना के सीएम चंद्रशेखर राव, जम्मू कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्लाह, तृणमुल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, बिहार के डिप्टी सीएम और आरजेडी के चेयरपर्सन तेजस्वी यादव और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव उन नेताओं में प्रमुख है जो इस मुश्किल घड़ी में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के साथ खड़े दिख रहे हैं.
रविवार को अरविंद केजरीवाल के साथ तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों ममता बनर्जी, चंद्रशेखर राव और भगवंत मान के साथ, एक उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और चार पूर्व मुख्यमंत्रियों ने शरद पवार, फारूक अब्दुल्लाह, उद्धव ठाकरे, अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा. पत्र में केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग को लेकर चिंता जताई गई है. पत्र में लगभग तंजिया लहजे में लिखा गया है कि हमें उम्मीद है कि आप इस बात से सहमत होंगे कि भारत अभी भी एक लोकतांत्रिक देश है.
नेताओं ने लिखा कि विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियां जिस तरह से कार्रवाई कर रही हैं वह राजनीति से प्रेरित लगता है. एजेंसियों के दुरुपयोग से लगता है कि हम एक लोकतंत्र में नहीं बल्कि निरंकुश शासन के अधीन रह रहे हैं. विपक्षी नेताओं ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि लंबे समय तक जांच के नाम पर परेशान करने के बाद मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने बिना किसी सबूत के गिरफ्तार कर लिया. आंकड़ों का हवाला देते हुए पत्र में कहा गया है कि 2014 के बाद से जांच एजेंसियों की कार्रवाई के सबसे अधिक शिकार विपक्ष के नेता ही रहे हैं.