नई दिल्ली : कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिए जाने के तीन दिन बाद विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ हमला तेज कर दिया और सोमवार को ‘लोकतंत्र के लिए काला दिवस’ मनाया. सूरत की एक अदालत द्वारा मानहानि के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के एक दिन बाद 24 मार्च को गांधी को संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. काले कपड़े पहने विपक्षी सांसदों ने संसद के दोनों सदनों में हंगामा किया और इस वजह से दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित हुई. बाद में विपक्षी सांसदों ने संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया और विजय चौक तक मार्च निकाला और गांधी को अयोग्य ठहराए जाने के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.
भाजपा ने संसद में विपक्ष के हंगामे की निंदा की और कांग्रेस पर ओबीसी समुदाय के खिलाफ गांधी की टिप्पणी को सही ठहराने के प्रयास में ‘निम्न स्तर की राजनीति’ करने का आरोप लगाया. देर शाम, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर कई विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक हुई, जिसमें राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता के अयोग्य ठहराये जाने के खिलाफ और अडाणी समूह से जुड़े मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की मांग को लेकर आगे की रणनीति पर चर्चा की गई. बैठक में शिवसेना (यूबीटी) को छोड़कर विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं ने भाग लिया. बैठक में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी मौजूद थे. इनके अलावा द्रमुक नेता टी आर बालू, तृणमूल कांग्रेस के जवाहर सरकार, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, जनता दल (यूनाइटेड) अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह, नेशनल कांफ्रेंस के हसनैन मसूदी, झारखंड मुक्ति मोर्चा की महुआ मांझी और कई अन्य विपक्षी नेता शामिल हुए.
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि सावरकर के खिलाफ राहुल गांधी की ‘‘अस्वीकार्य’’ टिप्पणी के विरोध में वे बैठक में शामिल नहीं हुए. तृणमूल कांग्रेस ने बैठक में भाग लिया जिसके बाद रात्रिभोज का आयोजन किया गया. अब तक विपक्ष के विरोध प्रदर्शन से दूर रहने वाली तृणमूल कांग्रेस सुबह विजय चौक पर विपक्षी दलों के धरने में भी शामिल हुई. सरकार के खिलाफ अपना आक्रामक रवैया जारी रखने के लिए कांग्रेस ने 28 और 29 मार्च को देशभर में संवाददाता सम्मेलन करने का फैसला किया है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘‘कांग्रेस के वरिष्ठ नेता 28 और 29 मार्च को 35 शहरों में ‘डेमोक्रेसी डिस‘क्वालीफाइड’ विषय पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करेंगे. इस दौरान अन्य मुद्दों के अलावा ‘मोदानी’ की वास्तविकता और नीरव मोदी तथा ललित मोदी को मोदी सरकार द्वारा क्लीन चिट दिए जाने का मुद्दा उठाएंगे.’’
संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष धरने में सोनिया गांधी, खड़गे, कांग्रेस के कई सांसद, द्रमुक के टी आर बालू, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के एनके प्रेमचंद्रन और कुछ अन्य नेता शामिल हुए. कांग्रेस के सभी सांसदों, द्रमुक के बालू, आरएसपी के प्रेमचंद्रन और कुछ अन्य विपक्षी सांसदों ने भी काले कपड़े पहने हुए थे. संसद परिसर में धरने के बाद विपक्षी सांसदों ने विजय चौक तक मार्च निकाला. उन्होंने हाथों में एक बड़ा बैनर ले रखा था जिस पर ‘सत्यमेव जयते’ लिखा हुआ था. विपक्षी सांसदों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की. विपक्ष के मार्च में तृणमूल कांग्रेस के सांसद प्रसून बनर्जी भी शामिल हुए. उन्होंने 18 विपक्षी दलों की बैठक में भी भाग लिया था. तृणमूल कांग्रेस लंबे समय बाद कांग्रेस द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की किसी बैठक और प्रदर्शन में शामिल हुई है.
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने राहुल गांधी को अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ प्रदर्शन का समर्थन करने के लिए विपक्षी दलों का आभार जताया. उन्होंने विजय चौक पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम काले कपड़े पहनकर आए हैं क्योंकि हम यह दिखाना चाहते हैं कि मोदी जी देश में लोकतंत्र को खत्म कर रहे हैं. पहले स्वायत्त संस्थाओं को खत्म किया गया और फिर डरा-धमकाकर हर जगह सरकारें बनाई गईं और फिर जो लोग झुकते नहीं हैं, उन्हें ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल कर डराने धमकाने का प्रयास किया गया और अब यह प्रयास किया जा रहा है.’’ खड़गे ने दावा किया कि राहुल गांधी को अयोग्य ठहराया गया क्योंकि सरकार अडाणी मामले पर उनके द्वारा उठाए गए सवालों से डर गई थी और ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद उन्हें अपने लिए चुनौती मानने लगी थी. उन्होंने कहा, ‘‘अडाणी को लेकर राहुल गांधी जी ने संसद में कुछ सवाल पूछे थे जिनका जवाब नहीं मिला.’’