नई दिल्ली : विपक्षी दलों ने बिहार के राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा और कहा कि यह भाजपा की 'धमकी की राजनीति' की परिणति है तथा भारतीय राजनीति में बदलाव का संकेत है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, 'मार्च 2020 में, मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार को गिराने के लिए मोदी सरकार ने कोविड-19 लॉकडाउन को आगे बढ़ा दिया था. अब संसद सत्र निर्धारित समय से छोटा करना पड़ा, क्योंकि बिहार में उनकी गठबंधन सरकार जा रही है. उत्थान के बाद पतन तय होता है.'
कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने ट्वीटकिया, 'भाजपा का ओवर कॉन्फ़िडेन्स ही भाजपा का अभिशाप। अपने साथी दलों के प्रति उदासीनता भाजपा के पतन का कारण बनेगी. नीतीश कुमार के साथ बिहार निकल जाना राजनीतिक रूप से विपक्ष की एकता के लिए सौग़ात और भाजपा के लिए आत्मघाती सिद्ध होगा.'
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजाने कहा, 'भाजपा के अधिनायकवाद ने सहयोग के लिए गुंजाइश नहीं छोड़ी है. अकाली दल, शिवसेना के बाद जद(यू) इसकी ताजा मिसाल है. भाजपा और अन्नाद्रमुक के रिश्तों भी दरार है.' भाकपा सांसद विनय विश्वम ने कहा कि बिहार का घटनाक्रम इस बात का संकेत है कि बदलाव हो रहा है.
कांग्रेस नेता तारिक अनवर से ईटीवी भारत ने की विशेष बातचीत विश्वम ने ट्वीट किया, 'बिहार ने यह संकेत दिया है कि भारतीय राजनीति में बदलाव हो रहा है. इसका अंतिम नतीजा क्या होगा, यह प्रमुख दलों के दृष्टिकोण पर निर्भर करता है. वाम दल अपनी जिम्मेदार भूमिका का निर्वहन करेंगे.'
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डेरेक ओब्रायन ने दावा किया कि बिहार के घटनाक्रम के कारण ही सरकार ने संसद के मॉनसून सत्र को तय अवधि से पहले स्थगित करवा दिया. तृणमूल कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुखेंदु शेखर ने कहा, 'भाजपा जैसा गठबंधन साझेदार होने के चलते राजग में कोई राजनीतिक दल सुरक्षित नहीं है. भाजपा छोटे या क्षेत्रीय दलों के अस्तित्व में विश्वास नहीं करती. इसकी नीति क्षेत्रीय दलों को हटाने में भरोसा करती है, फिर चाहे वे उसके गठबंधन सहयोगी ही हों. इस तरह के घटनाक्रम का इंतजार था.'
तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम(द्रमुक) ने कहा कि उसके अध्यक्ष एम के स्टालिन के राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से लड़ने के दृष्टिकोण को बिहार में नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से बाहर होने से गति मिली है. द्रमुक के संगठन सचिव आर एस भारती ने कहा कि उनकी पार्टी के अध्यक्ष एवं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने केंद्र में भाजपा का मुकाबला करने के लिए पिछले महीने हुए राष्ट्रपति चुनाव से काफी पहले विपक्षी दलों से हाथ मिलाने की जरुरत पर जोर दिया था.
भारती ने से कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा से लड़ने की उनकी पार्टी प्रमुख के दृष्टिकोण को अब गति मिली है और यह 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले और अधिक जोर पकड़ेगी. द्रमुक नेता ने परोक्ष तौर पर संकेत दिया कि भाजपा विरोधी ताकतों की इस तरह की लामबंदी अंततः 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से हटाने में मदद करेगी.
पीपुल्स डोमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि देश में विपक्षी दल केवल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ही नहीं, उस अधिनायकवादी सरकार के खिलाफ भी खड़ा है जो विपक्ष मुक्त भारत सुनिश्चित करने के लिए राज्य संस्थानों को हथियार बना रही है. महबूबा ने ट्वीट किया, 'नीतीश कुमार और विपक्षी दल खुद को जिस स्थिति में पाते हैं, वह सिर्फ इसलिए नहीं है कि वे भाजपा का सामना कर रहे हैं. इसके बजाय वे एक अधिनायकवादी सरकार की ताकत का सामना कर रहे हैं, जो हर एजेंसी को हथियार बना रही है चाहे वह राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआईए), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) हो या कोई अन्य एजेंसी हो, ताकि विपक्ष मुक्त भारत की स्थिति सुनिश्चित की जा सके.'
बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और महागठबंधन की तरफ से नयी सरकार का बनाने का दावा पेश करने वाले नीतीश कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से बात की तथा समर्थन के लिए उनका आभार जताया. सूत्रों ने यह जानकारी दी. सूत्रों ने बताया कि नीतीश ने सोनिया और राहुल से फोन पर बात की और समर्थन के लिए आभार जताया. सूत्रों ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार दिल्ली आने पर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से मुलाकात भी कर सकते हैं.
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