चंडीगढ़ : पंजाब में विपक्षी पार्टियां मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से विधानसभा का मानसून सत्र बुलाने की मांग की है. विपक्ष का कहना है कि सत्र में किसानों और कृषि कानूनों पर चर्चा की जाए. हालांकि सरकार की तरफ से कहा गया कि तीन सितंबर को बुलाए गए स्पेशल सत्र के बाद मॉनसून सत्र भी बुलाया जाएगा, लेकिन इसकी कोई घोषणा नहीं की गई.
विपक्ष ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाए गए हैं कि सरकार हमेशा सत्र से बचती है, क्योंकि वहां पर उन्हें पंजाब की जनता के जवाब देने होते हैं. उल्लेखनीय है कि अगली साल पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में पिछले चार सालों में पंजाब सरकार ने कितने सत्र बुलाए कितने बिल पास किए आइए आपको बताते हैं.
साल 2017 में पंजाब में नई सरकार सत्ता में आई और पंजाब विधानसभा का पहला सत्र 24 मार्च 2017 को शुरू हुआ, जिसमें एक बिल पास किया गया. उसके बाद से अब तक 15 सत्र पंजाब सरकार द्वारा बुलाए गए हैं, जिसमें 124 बिल पास किए गए और अगर सीटिंग की बात की जाए तो वह 67 रही.
हालांकि पंजाब सरकार पहली सरकार नहीं है जिसने सत्र ना बुलाए हों या सत्र की पूरे दिन की बजाए कुछ मिनटों की कर दी हो. 2003 के बाद से पंजाब विधानसभा में यही परंपरा लगातार दोहराई जा रही है, जिसमें रिकॉर्ड पर तो सदन की कार्यवाही का दिन दर्ज हो जाता है लेकिन कामकाज नहीं होता.
आम आदमी पार्टी के विधायक अमन अरोड़ा ने सवाल उठाते हुए पुराना रिकॉर्ड विधानसभा का दिखाया था, जिसमें अंकित है कि आजादी के बाद 1948 से 1979 तक सदन में कामकाज किया गया है. इस दौरान कुल 40 सत्रों का आयोजन हुआ, जिनमें से 34 सत्रों में पहले दिन सामान्य कामकाज शुरू हुई.
15 अक्टूबर 1979 को शुरू हुए पंजाब विधानसभा के सत्र में कामकाज की परंपरा टूटी और श्रद्धांजलि देने के बाद अगले दिन के लिए स्थगित कर दी गई. इसके बाद 17 जुलाई 1980 से आज तक कुल 80 सत्रों में से केवल 10 सत्र ही ऐसे रहे, जिनमें पहले दिन सदन में सामान्य कामकाज भी हुआ बिना कामकाज के पूरे दिन के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित किए जाने पर उस समय भी सवाल उठने लगे थे.
3 सितंबर 2021 को बुलाई गई विशेष सत्र को मॉनसून सत्र से विरोधियों नहीं जोड़ा उनका कहना था कि कमेटी की बैठक में स्पीकर राणा केपी सिंह ने आश्वासन दिया था कि 15 दिनों में बुलाया जाएगा, लेकिन सरकार की मंशा नजर नहीं आती. सत्र की मांग पंजाब कांग्रेस के सिद्धू ने भी विधानसभा का मानसून सत्र बुलाकर बिजली समझौते रद्द करने की मांग की थी.
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हाल ही में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक बयान में विधानसभा सत्र की अवधि कम रखे जाने की हिमायत करते हुए दलील दी थी कि सदन की एक दिन की कार्यवाही में 70 लाख रुपए खर्च होते हैं. वहीं पंजाब विधानसभा में कामकाज की परिपाटी पर सवाल खड़ा करने वालों का भी यही आरोप है कि राज्य सरकार पूरा दिन सदन में कामकाज नहीं करके जनता के टैक्स का पैसा बर्बाद कर रही है.
कारण कोई भी हो लेकिन विधानसभा सत्र अगर बुलाए जाते हैं और उसमें पंजाब की जनता के मुद्दों पर चर्चा नहीं होती तो 1 दिन के सत्र में ₹7000000 खर्च करना बहुत बड़ी बात हो जाती है, क्योंकि एक तरफ पंजाब सरकार कहती है कि खजाना खाली है और जहां पैसे बचाने की बात आती है तो वहां पर इस तरह का गैर जिम्मेदाराना सरकार का रवैया सही नहीं है.