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दीदी के आशीर्वाद से खोला नर्सों का ब्यूरो: लता मंगेशकर की नर्स - गायिका की देखभाल करने वालीं सारिका देवानंद भिसे

लता मंगेशकर की नर्स सारिका देवानंद भिसे गायिका के जीवन के आखिरी कुछ दिनों को बड़े स्नेह से याद करती हैं. भिसे ने कहा कि उन्हें सबसे बड़ा अफसोस इस बात का होगा कि वह उस सुर साम्राज्ञी को अब नहीं देख पाएंगी जो उनके परिवार की मदद करती थीं. उन्होंने कहा, 'मेरा परिवार उनसे प्यार करता था. उनके आशीर्वाद से मैंने नर्सों का ब्यूरो खोला.

Opened nurses' bureau with Didi's blessings: Lata Mangeshkar's nurse
दीदी के आशीर्वाद से खोला नर्सों का ब्यूरो लता मंगेशकर की नर्स

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Published : Feb 7, 2022, 2:00 AM IST

मुंबई: लता मंगेशकर की नर्स गायिका के जीवन के आखिरी कुछ दिनों को बड़े स्नेह से याद करती हैं. देश और दुनिया में कई दशकों से अपनी आवाज से लोगों को मंत्रमुग्ध करने वाली गायिका की देखभाल करने वालीं सारिका देवानंद भिसे ने एजेंसी से कहा, 'मैं उस वक्त लता दीदी के साथ थी, जब उन्होंने अंतिम सांस ली.' भिसे अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाईं जब लता के भाई हृदयनाथ ने शिवाजी पार्क में चिता को मुखाग्नि दी. साल 2015 से लता के साथ जुड़ी रहीं भिसे ने कहा, 'दीदी ने हमेशा खुद से पहले हमारे (स्टॉफ के) बारे में सोचा। हम उनसे प्यार करते थे और उनकी कमी खल रही है.'

भिसे ने कहा, 'जब वह वेंटिलेटर पर थीं उन्होंने हमें पहचान लिया. जब हमने हंसी मजाक किया तो उन्होंने जवाब दिया. पिछले दो-तीन दिनों में वह बहुत खामोश थीं.' उन्होंने कहा, ‘जब उन्हें वेंटिलेटर से हटा दिया गया तो हम उन्हें व्हील चेयर पर ले गए. उस वक्त हमें लगा कि हम जीत गए हैं और उन्हें जल्द ही घर वापस ले जाएंगे. लेकिन ऐसा नहीं होना था क्योंकि उनकी हालत जल्द ही गंभीर हो गई थी.'

उन्होंने कहा, 'निमोनिया और कोविड-19 के कारण उनके फेफड़ों में दिक्कतें थीं. वह इससे उबर गयी थी लेकिन हमें फिर वायरल संक्रमण और निमोनिया के लक्षण दिखे. उनका ऑक्सीजन स्तर भी गिर गया था. उन्हें दोबारा वेंटिलेटर पर रखना पड़ा था.' उन्होंने कहा कि मंगेशकर के अस्पताल में भर्ती रहने के 29 दिनों के दौरान वह उनकी देखभाल करती रहीं. भिसे और उनके ब्यूरो की एक और सहकर्मी अश्विनी आईसीयू में मौजूद थी जबकि परिवार के सदस्य बाहर इंतजार कर रहे थे.

उन्होंने कहा, 'डॉक्टर उन्हें बचाने के लिए कड़ा प्रयास कर रहे थे लेकिन शनिवार दोपहर को उनमें मूत्र बनने की प्रक्रिया बंद हो गयी जिससे उनकी किडनी पर असर पड़ा. फिर हमने उन्हें दो बार डायलिसिस पर रखा लेकिन उनसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.' उन्होंने बताया कि मंगेशकर ने सुबह आठ बजकर 12 मिनट पर अस्पताल में अंतिम सांस ली.

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भिसे ने कहा कि उन्हें सबसे बड़ा अफसोस इस बात का होगा कि वह उस सुर साम्राज्ञी को अब नहीं देख पाएंगी जो उनके परिवार की मदद करती थीं. उन्होंने कहा, 'मेरा परिवार उनसे प्यार करता था. उनके आशीर्वाद से मैंने नर्सों का ब्यूरो खोला.' भिसे ने कहा, 'दीदी बताती थीं कि कैसे उनका लालन पालन हुआ और अपने पिता के निधन के बाद अपने परिवार की देखभाल की. उन्होंने एक बार मुझे बताया था कि कैसे उनकी मां परेशान हो गई थीं जब वह पश्चिमी महाराष्ट्र के एक कस्बे सांगली में साइकिल चलाते समय गिर गई थीं.

(पीटीआई-भाषा)

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