प्रयागराजःबाहुबली अतीक अहमद और उसके भाई ख़ालिद अज़ीम उर्फ अशरफ की हत्या के मामले में पुलिस की तरफ से चार्जशीट दाखिल कर दी गयी है. 1200 पन्नों से ज्यादा लंबी चार्जशीट में कई ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब पुलिस की चार्जशीट में नहीं है. इस वजह से ही शायद पुलिस की तरफ से भी चार्जशीट के अंत मे अंकित किया गया है कि जांच अभी बंद नहीं की गई है, कुछ और साक्ष्य मिले तो उसे भी पूरक चार्जशीट के जरिये कोर्ट में पेश किया जाएगा.अभी तक की चार्जशीट में तीन शूटरों के अलावा कोई चौथा कोई नाम शामिल नहीं किया गया है. वारदात की साजिश रचने से लेकर अंजाम देने और असलहों तक की व्यवस्था करने में किसी और को आरोपी नहीं बनाया गया है. बहरहाल पुलिस की तरफ से लंबी चौड़ी चार्जशीट कोर्ट में पेश की जा चुकी है.
जुर्म की दुनिया में कई दशकों तक राज करने वाले बाहुबली माफिया अतीक अहमद और उसके भाई ख़ालिद अज़ीम उर्फ अशरफ की हत्या के मामले में पुलिस की तरफ से दाखिल चार्जशीट में बताया गया है कि तीनों आरोपी लवलेश तिवारी, सनी सिंह और अरुण मौर्या ने रातों-रात जुर्म की दुनिया में बड़ा नाम कमाने के लिए इस घटना को अंजाम दिया है. तीनों शूटरों के अलावा पुलिस को अभी तक चौथे किसी व्यक्ति के इस वारदात में शामिल होने के साक्ष्य नहीं मिल पाए हैं.
चार्जशीट में पुलिस की तरफ से यही बताया गया कि टीवी मीडिया में माफियाओं के भौकाल को देखकर ही इन लोगों ने उनके जैसा बड़ा बनने का प्लान बनाया था. इसके तहत अतीक अशरफ की हत्या की गयी है. यही नहीं चार्जशीट में शूटरों के द्वारा वारदात में इस्तेमाल की गई जिगाना पिस्टल लाने के लिए शूटरों के पैसे कहां से आए इसके जवाब में भी यही लिखा गया है कि सनी सिंह को 2021 में दिल्ली के गैंगस्टर जितेंद्र गोगी ने पिस्टल रखने के लिए दी थी. बाद में उसकी हत्या कर दी गई थी जिसके बाद जिगाना पिस्टल उसी के पास रखी हुई थी.
शूटरों के पास पिस्टल जिसके जरिये पहुंची थी उसकी मौत हो चुकी है. इस वजह से पुलिस को तब तक शूटरों की बात पर ही भरोसा करना पड़ेगा जब तक उनके पास कोई दूसरा साक्ष्य न हो. इसी तरह से चार्जशीट में यह भी नहीं बताया गया है कि शूटरों को बांदा में किसकी मदद से फर्जी आधार कार्ड बनाकर दिया गया है जबकि शूटरों के ऊपर हत्या के साथ ही धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज बनाने और इस्तेमाल करने का केस भी साथ में ही चलेगा.
वैज्ञानिक साक्ष्य भी कोर्ट में बनेंगे सजा के आधार
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के मामले में पुलिस ने चार्जशीट के साथ ही अलग अलग तरह के वैज्ञानिक साक्ष्य भी चार्जशीट में दर्ज किए गए हैं. पुलिस ने वैज्ञानिक साक्ष्य के रूप में 15 वीडियो रिकार्डिंग पेश किए हैं जिसमें मोबाइल के साथ ही कैमरे का वीडियो है. इसके अलावा घटनास्थल अस्पताल से लेकर जिस होटल में शूटर रुके हुए थे वहां का वीडियो कोर्ट में दिया गया है. इसी के साथ होटल से लेकर हॉस्पिटल और सड़कों चौराहों दुकानों पर लगे 70 जगहों के सीसीटीवी के फुटेज भी सीडी के माध्यम से कोर्ट में पेश किए गए हैं.
माफिया बन्धुओं की सरेआम लाइव हत्या के मामले में पुलिस की चार्जशीट में 150 से अधिक गवाहों का जिक्र किया गया है. इसमें मौके पर मौजूद 21 पुलिस वाले शामिल हैं. इसके साथ ही 11 मीडिया कर्मियों के नाम भी गवाहों की लिस्ट में शामिल किए गए हैं. साथ ही 16 मीडिया कर्मियों के नाम भी चश्मदीद गवाहों की लिस्ट में शामिल किए गए हैं.
इसके अलावा सौ के करीब अन्य गवाह भी हैं जो मौके पर मौजूद थे लेकिन उनके पास केस से जुड़ी अहम जानकारियां मौजूद हैं. यही वजह है कि पुलिस ने गवाहों की दो लिस्ट तैयार की है जिसमें चश्मदीद गवाह और अन्य गवाहों के साथ करीब 150 नामों की लिस्ट बनाकर कोर्ट में जमा की गयी है. इसी के साथ चार्जशीट में वैज्ञानिक साक्ष्य के रूप में आरोपियों के फिंगर प्रिंट की रिपोर्ट के साथ ही मौके से बरामद पिस्टल, कैमरा, माइक और होटल के कमरे में मिले फिंगर प्रिंट की रिपोर्ट कोर्ट में चार्जशीट में शामिल करते हुए कोर्ट में जमा की गई है. इसी के साथ असलहों की बैलेस्टिक रिपोर्ट भी चार्जशीट में संलग्न की गई है.