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विदेशी आक्रांताओं के चलते आयुर्वेद का प्रसार रुक गया :भागवत

महाराष्ट्र के नागपुर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आयुर्वेद को लेकर बड़ी बातें कही. उन्होंने यह भी कहा कि आयुर्वेद को वैश्विक मान्यता दिलाने के लिए कदम उठाने की जरूरत है.

Only Ayurveda has the power to provide cheap and good medicine says RSS Chief Mohan Bhagwat
विदेशी आक्रांताओं के चलते आयुर्वेद का प्रसार रूक गया, लेकिन इसे फिर से मान्यता मिल रही:भागवत

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Published : Nov 13, 2022, 7:01 AM IST

Updated : Nov 13, 2022, 10:27 AM IST

नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि विदेशियों के आक्रमण के कारण आयुर्वेद का प्रसार रुक गया था, लेकिन अब उपचार की इस प्राचीन पद्धति को फिर से मान्यता मिल रही है. उन्होंने यह भी कहा कि आयुर्वेद को वैश्विक मान्यता दिलाने के लिए कदम उठाने की जरूरत है.

उन्होंने कहा,'सस्ती और अच्छी दवाई देने की ताकत सिर्फ आयुर्वेद में है. आयुर्वेद ने पूरे विश्व में सम्मान का स्थान प्राप्त किया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने आयुर्वेद शास्त्र की कीर्ति को अगले 25 वर्षों में पूरे विश्व में फैलाने का संकल्प लेने की भी अपील की है. आयुर्वेद को एक दिशा में ले जाने से सस्ता और बेहतर इलाज मिलना चाहिए.

भागवत ने यह बात यहां आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, आयुर्वेद पर्व में कही. आयुष में आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी शामिल हैं. केंद्रीय आयुष मंत्री सर्वानंद सोनोवाल और गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत भी इस अवसर पर उपस्थित थे. भागवत ने कहा, 'लोगों के बीच आयुर्वेद का प्रसार विदेशियों के आक्रमण के चलते रुक गया था.

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

लेकिन आयुर्वेद को फिर से मान्यता मिल रही है और समय आ गया है कि आयुर्वेद के ज्ञान का प्रसार किया जाए.' उन्होंने कहा, 'इसलिए, हमें आयुर्वेद को कैसे आगे ले जाना चाहिए? उपाय यह है कि हर किसी को वहनीय और सामान्य मेडिकल उपचार मिले और इसके लिए आयुर्वेद से बेहतर विकल्प नहीं है.' भागवत ने कहा कि आयुर्वेद के शुद्धतम रूप का उपयोग किया जाना चाहिए ताकि इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिले.

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सोनोवाल ने कहा कि पिछले सात वर्षों से आयुर्वेद को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिल रही है. केंद्रीय मंत्री ने कहा, '2014 तक आयुष उद्योग का बाजार तीन अरब डॉलर का था. लेकिन पिछले आठ वर्षों में वैश्विक स्तर पर बढ़ कर यह 18.1 अरब डॉलर का हो गया है और 2023 तक इसके बढ़ कर 23 अरब डॉलर का बाजार हो जाने की संभावना है.'

Last Updated : Nov 13, 2022, 10:27 AM IST

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