नई दिल्ली:असम और मिजोरम सरकार पर विपक्षी दल कांग्रेस केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार को लगातार घेर रहा है. अब विवादित सीमा क्षेत्र से राज्य पुलिस बलों की वापसी पर और सीएपीएफ की तैनाती पर कांग्रेस के राज्य सभा सांसद रिपुन बोरा ने सवाल उठाया है.
'ईटीवी भारत' से बातचीत में बोरा ने कहा कि यह कोई स्थाई समाधान नहीं है. वास्तव में, इन सुरक्षा बलों की पहले से ही थीं और उनकी उपस्थिति के बावजूद भीषण घटना 26 जुलाई को हुई. राजनीतिक नेतृत्व को इस मामले पर एक साथ बैठना चाहिए.
उन्होंने कहा कि दशकों पुरानी समस्या के स्थायी समाधान के लिए सरकार को दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों और राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय दलों सहित पूर्वोत्तर के सभी राजनीतिक दलों के साथ-साथ अन्य हितधारकों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में एक बैठक बुलानी चाहिए. कहा कि हमने इस मामले पर सदन में चर्चा की मांग की, लेकिन अन्य मुद्दों पर विरोध के कारण हमारा मामला नहीं उठाया जा सका.
रिपुन बोरा ने गुरुवार को राज्यसभा में भी कामकाज स्थगित करने की मांग की. इसके अलाव नियम 267 के तहत सीमा विवाद पर चर्चा कराने की भी मांग की. बोरा ने कहा कि हालांकि हमने सदन में इस मामले पर चर्चा की मांग की है, लेकिन अन्य मुद्दों पर विरोध के कारण हमारा मामला सदन में नहीं उठाया जा सका.
उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों के बीच वर्तमान तनावपूर्ण स्थिति के चलते हमें और भीड़ हिंसा की आशंका है. यदि इस मामले को सकारात्मक राजनीतिक उपायों से तत्काल नहीं निपटाया गया तो दोनों राज्यों में स्थिति बद से बदतर हो सकती है और अन्य पूर्वोत्तर राज्य बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं.
असम जातीय परिषद (एजेपी)ने भी इस विवाद के समाधान के लिए प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप की मांग की. इस विपक्षी दल ने कछार जिले के ललितपुर की स्थिति के लिए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा को जिम्मेदार ठहराया.
अंग्रेजों के जमाने में ही पड़ गई थी विवाद की नींव
इस विवाद को खड़ा करने वाले अंग्रेज ही थे. आजादी के बाद सिर्फ मिजोरम ही नहीं, नगालैंड, अरुणाचल और मेघालय भी असम का हिस्सा रहे. असम से कब अलग हुए, आगे बताएंगे. असम के इतने बड़े इलाके में कई ट्राइब्स के लोग रहते थे. मिजो, नगा, खासी, जयंतिया, गारो जैसे कई ट्राइब्स. इन ट्राइब्स का अपना इलाका भी था, जिसे हिल्स कहते थे. जैसे नगा हिल्स, जयंतिया हिल्स. मिजो लोगों का रिहायशी इलाका लुशाई हिल्स था, जो असम के कछार जिले में आता था. जब ट्राइबल अस्मिता की बात हुई तब अंग्रेजों ने 1875 में उनके इलाकों का सीमांकन किया. लुशाई पहाड़ियों और कछार मैदानों के बीच की सीमा खींची गई.