हैदराबाद :प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के 2024 तक देश के हर घर में नल का स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के सपने को पूरा करते हुए जल जीवन मिशन ने आज, 23 महीने की छोटी अवधि में एक लाख गांवों में हर घर में नल के पानी की आपूर्ति करने का ऐतिहासिक मुकाम हासिल कर लिया. इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम की शुरुआत के समय, देश के 18.94 करोड़ ग्रामीण घरों में से केवल 3.23 करोड़ (17%) घरों में नल के पानी के कनेक्शन थे. कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन व्यवधानों के बावजूद, जल जीवन मिशन ने 23 महीनों के दौरान 4.49 करोड़ नल के पानी के कनेक्शन प्रदान किए और 50 हजार ग्राम पंचायतों में हर घर में नल का पानी उपलब्ध कराकर इन पंचायतों में 'हर घर जल' पहुंचाने का लक्ष्य हासिल कर लिया.
इस समय देश के 7.72 करोड़ (40.77%) घरों में नल के पानी की आपूर्ति हो रही है. गोवा, तेलंगाना, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और पुडुच्चेरी ने ग्रामीण क्षेत्रों में 100% घरेलू कनेक्शन का लक्ष्य हासिल कर लिया है और वहां 'हर घर जल' का सपना साकार हो गया है. प्रधानमंत्री के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के सिद्धांत का पालन करते हुए मिशन का आदर्श वाक्य 'कोई भी छूटे ना' है और लक्ष्य है कि हर गांव के हर घर में नल का पानी उपलब्ध कराया जाए. वर्तमान में देश के 71 जिलों, 824 प्रखंडों, 50,309 ग्राम पंचायतों और 1,00,275 गांवों में 'हर घर जल' का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है.
15 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषितजल जीवन मिशन पूर्व के जलापूर्ति कार्यक्रमों से एक आमूलचूल बदलाव है क्योंकि यह मिशन केवल जल आपूर्ति के लिए बुनियादी ढांचा प्रदान करने के बजाय जल सेवा वितरण पर केंद्रित है. जेजेएम के तहत, उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर घर की सामाजिक-आर्थिक स्थिति से इतर उसे नल के पानी की आपूर्ति हो. जेजेएमसमाज के सबसे गरीब, कमजोर और हाशिए के वर्गों के लिए जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 'कोई भी ना छूटे' के सिद्धांत पर बनाया गया है, ये वे वर्ग हैं जिन्हें अब तक यह सेवा नहीं मिली, मिशन के तहत उनके घरों में पीने योग्य पेयजल आपूर्ति की पक्की व्यवस्था करना है. घरों में पीने के पानी की सुनिश्चित उपलब्धता ग्रामीण भारत में सदियों पुरानी पानी ढोने की कठिन परिश्रम के चलन से मजबूर महिलाओं और युवा लड़कियों को बचाएगी. यह उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार करेगा. इसके अलावा, हर ग्रामीण घर में नल के पानी का कनेक्शन लोगों के लिए सम्मान लाता है क्योंकि यह शहरी-ग्रामीण अंतर को पाटता है और सुरक्षित पानी की सुगम्यता के साथ 'जीवन में आसानी' लाता है.
पांच साल की छोटी अवधि में हर ग्रामीण परिवार को नल का पानी उपलब्ध कराने के इस विशाल लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा 3.60 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. 2020-21 में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 11,000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई थी. केंद्रीय जल शक्ति मंत्रीश्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा 2021-22 यानी चालू वित्त वर्ष के लिए फंड आवंटन में चार गुना वृद्धि को मंजूरी दी गई है ताकि लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए धन की कमी न हो. केवल तीन महीनों में, राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्रों द्वारा उनकी वार्षिक कार्य योजनाओं (एएपी) के तहत प्रस्तावित निधि के इस्तेमाल एवं जरूरत के आधार पर 8,891 करोड़ रुपये निकाले गए हैं.
2021-22 में, राज्यों को ग्रामीण स्थानीय निकायों/पीआरआई को पानी और स्वच्छता के लिए 15वें वित्त आयोग से संबद्ध अनुदान के रूप में 26,940 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. अगले पांच साल यानी 2025-26 तक 1,42,084 करोड़ रुपये की निधि सुनिश्चित है. देश के ग्रामीण क्षेत्रों में इस विशाल निवेश से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा. इससे गांवों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे.
जल जीवन मिशन एक 'नीचे से ऊपर की ओर बढ़ने' का एक दृष्टिकोण है जहां योजना से लेकर कार्यान्वयन, प्रबंधन, संचालन और रखरखाव तक समुदाय एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसे हासिल करने के लिए, राज्य सरकार को ग्राम जल और स्वच्छता समिति (वीडब्ल्यूएससी)/ पानी समिति को मजबूत करने, अगले पांच वर्षों के लिए ग्राम कार्य योजना विकसित करने, कार्यान्वयन राज्य एजेंसियों (आईएसए) को ग्राम समुदायों को संभालने और समर्थन करने, लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए सहायता गतिविधियां शुरू करनी होंगी. अब तक देश भर में 2.67 लाख वीडब्ल्यूएससी या पानी समितियां गठित की गयी हैं और 1.84 लाख ग्राम कार्य योजनाओं का विकास किया गया है.