पटना: 2 अक्टूबर को सरकार की ओर से बिहार जातीय गणना की रिपोर्ट जारी हो चुकी है. अब बिहार सरकार की ओर से आर्थिक-सामाजिक रिपोर्ट 7 नवंबर को पेश होने वाली है. जातीय गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद से ही बिहार में हिस्सेदारी की मांग पर सियासत शुरू है. विधानसभा में जब रिपोर्ट पेश होगा तो सभी दलों की राय भी ली जाएगी. ऐसे में आरक्षण बढ़ाने का सरकार प्रस्ताव भी ला सकती है. फिलहाल सभी दल की ओर से कहा जा रहा है कि हम लोग जातीय गणना के विरोधी नहीं हैं. आरक्षण को लेकर भी कोई भी दल फिलहाल विरोध करता दिख नहीं रहा है.
50 फीसदी ओबीसी और 20 फीसदी माइनॉरिटी को मिले आरक्षण : बिहार विधानसभा में जातीय गणना का आर्थिक सामाजिक रिपोर्ट पेश किए जाने के लिए सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है. ऐसे तो सरकार ने कहा है कि रिपोर्ट के आधार पर योजनाएं तैयार की जाएंगी, लेकिन कई दलों की ओर से पहले से ही आबादी के अनुसार आरक्षण बढ़ाने की मांग की जा रही है. AIMIM की तरफ से तो ओबीसी का आरक्षण बढ़ाकर 50% करने और मुसलमान के लिए अलग से 20% आरक्षण की मांग की जा रही है. आरजेडी और वामपंथी दलों की ओर से भी आरक्षण बढ़ाने की मांग की जा रही है.
''मंडल कमीशन में जो ओबीसी का आरक्षण 27% था उसमें माइनॉरिटी का प्रतिशत 8 फीसदी था. उसे दो फीसदी भी नहीं किया गया. इसलिए हमारी गुजारिश है कि आप ओबीसी की सीमा बढ़ाकर 50 फीसदी करिए और माइनॉरिटी का अलग से 20 प्रतिशत वाजिब आरक्षण उसे निर्धारित करिए.''- अख्तरुल इमान, प्रदेश अध्यक्ष, AIMIM
बीजेपी भी विरोध करने से बच रही: इस मामले में कांग्रेस खुलकर जदयू की तरह से नहीं बोल रही है लेकिन सरकार जो भी फैसला लेगी उसके साथ होने की बात कही जा रही है. तो वहीं भाजपा भी आरक्षण में हिस्सेदारी बढ़ाने के सवाल पर विरोध करने से बच रही है. अलग से मुस्लिमों को कोटा इन चार राज्यों में दिया जा रहा है. बिहार में भी माइनॉरिटी के लिए अलग से आरक्षण की मांग उठ रही है. हालांकि बीजेपी इसको लेकर मुखर है. बीजेपी धर्म के आधार पर आरक्षण के खिलाफ है.
''आबादी के अनुसार जाति की गणना के दायरे में दलित-गरीबों को, खेतिहर मजदूरों को, समाज के कमजोर तबके के विकास के लिए योजनाएं बनाई जाएं. हम लोग कह रहे हैं कि जातीय आरक्षण को बढ़ाना उनकी संख्या के आधार पर बढ़ाया जाना चाहिए.''- मनोज मंजिल, माले विधायक