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भारत-चीन एलएसी पर चीन भेज चुका है ड्रोन, हवाई उल्लंघन रोकने के लिए वायुसेना ने 2-3 बार भेजे लड़ाकू विमान

भारतीय सेना और चीनी सेना के साथ हुई झड़प के बाद अब जानकारी सामने आ रही है कि पिछले हफ्तों में चीनी ड्रोन द्वारा हवाई उल्लंघन रोकने के लिए भारतीय वायुसेना ने 2-3 बार अपने लड़ाकू विमानों को उतारा है. सीमा की सुरक्षा के लिए सुखोई-30 (Su-30MKI) लड़ाकू विमानों को तैनात किया गया है.

Sukhoi-30MKI
सुखोई-30एमकेआई

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Published : Dec 13, 2022, 4:31 PM IST

Updated : Dec 13, 2022, 10:28 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना ने अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी ड्रोन द्वारा हवाई उल्लंघन को रोकने के लिए पिछले हफ्तों में 2-3 बार अपने लड़ाकू विमानों को उतारा. ये घटनाएं भारत और चीन के बीच हाल ही में तवांग के पास यांगत्से इलाके में हुई झड़प से पहले की हैं. चीनी ड्रोन के आक्रामक रूप से एलएसी पर भारतीय चौकियों की ओर बढ़ने के बाद, भारतीय वायुसेना को अपने लड़ाकू विमानों से उन्हें खदेड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा.

'पिछले कुछ हफ्तों में, दो से तीन मौकों पर हमारे लड़ाकू विमानों को एलएसी पर हमारी स्थिति की ओर बढ़ रहे चीनी ड्रोनों से निपटने के लिए हाथापाई करनी पड़ी है.' रक्षा सूत्रों ने जानकारी दी है कि 'हवाई उल्लंघन के खतरे से निपटने के लिए Su-30MKI जेट विमानों को उतारा जाना था.' भारतीय वायु सेना पूर्वोत्तर में एलएसी के साथ चीनी ड्रोन गतिविधियों पर कड़ी नजर रखती है. सूत्रों ने कहा कि कार्रवाई की जानी चाहिए, क्योंकि ड्रोन या किसी भी विमान को हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

सूत्रों के मुताबिक, भारतीय पक्ष को लाख के समानांतर उड़ान भरने वाले ड्रोन के साथ कोई समस्या नहीं है, लेकिन अगर विमान या ड्रोन भारतीय क्षेत्र की ओर उड़ते समय रडार द्वारा उठाए जाते हैं, तो किसी भी उल्लंघन को रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए. असम में तेजपुर और छबुआ सहित कई स्थानों पर Su-30 (सुखोई-30) लड़ाकू जेट विमानों के स्क्वाड्रन के साथ भारतीय वायु सेना की पूर्वोत्तर में एक मजबूत उपस्थिति है.

राफेल लड़ाकू विमानों को पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में भी बेहद करीब तैनात किया गया है. भारतीय वायु सेना ने केवल असम क्षेत्र में S-400 वायु रक्षा प्रणाली के संचालन के साथ क्षेत्र में अपने वायु रक्षा कवरेज को मजबूत किया है. सिस्टम लगभग पूरे क्षेत्र में किसी भी हवाई खतरे का ध्यान रख सकता है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में नौ दिसंबर 2022 को हुए आमने-सामने के दौरान भारतीय सेना के समय पर हस्तक्षेप ने चीनी पीएलए सैनिकों को देश के क्षेत्र में अतिक्रमण करने से रोक दिया.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा, 'नौ दिसंबर, 2022 को, तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में पीएलए सैनिकों ने अतिक्रमण किया और यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया. इस प्रयास को हमारे सैनिकों ने निर्धारित तरीके से निपटाया। इस आमने-सामने के दौरान भी लड़ाई हुई थी. हमारे सैनिकों ने बहादुरी से पीएलए को हमारे क्षेत्र में अतिक्रमण करने से रोका और उन्हें अपनी पोस्ट पर वापस जाने के लिए मजबूर किया.' मंत्री ने कहा कि राजनयिक चैनलों के माध्यम से इस मुद्दे को चीन के साथ उठाया गया था.

रीजीजू बोले- अरुणाचल प्राचीन काल से भारत से जुड़ा हुआ है :उधर, केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने मंगलवार को कहा कि अरुणाचल प्रदेश प्राचीन काल से भारत का अभिन्न अंग रहा है.

उनकी यह टिप्पणी भारतीय सेना द्वारा यह कहे जाने के एक दिन बाद आई है कि तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के सैनिकों की आपस में झड़प हुई थी जिसमें 'दोनों पक्षों के कुछ कर्मियों को मामूली चोटें' आई थीं. रीजीजू ने हालांकि संवाददाता सम्मेलन में तवांग की घटना पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था.

देश में सांस्कृतिक पुनरुद्धार और सरकार द्वारा इस संदर्भ में किए जा रहे प्रयास के मुद्दे पर यहां मीडिया को संबोधित करते हुए अरुणाचल प्रदेश से लोकसभा सदस्य ने कहा, 'आज अरुणाचल प्रदेश पर चाहे कोई कुछ भी कहे, यह स्पष्ट है कि यह (प्रदेश) प्राचीन काल से ही भारत से जुड़ा हुआ है. इसलिए, ऐसा नहीं है कि अब यह भारत का हिस्सा है, हालांकि वर्तमान नाम अब दिया गया है, यह प्राचीन काल से भारत का अभिन्न अंग रहा है.'

पढ़ें:तवांग झड़प पर आया चीन का पहला बयान, कहा- सीमा पर स्थिति नियंत्रित है

Last Updated : Dec 13, 2022, 10:28 PM IST

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