कोटा. लोकसभा स्पीकर कोटा बूंदी लोकसभा क्षेत्र के दौरे पर हैं. शनिवार को वे कोटा में निर्माणाधीन (Om Birla visit IIIT campus in Kota) इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (IIIT) के रामपुर स्थित परिसर का जायजा लिया. उन्होंने पहले फेज के काम को नवंबर 2022 तक पूरा करने के लिए निर्देशित किया है. ताकि अगले सत्र 2023 से यहां पर ट्रिपल आईटी की क्लासेज लग सके. अभी बीते 10 सालों से क्लासेज जयपुर एमएनआईटी परिसर में संचालित की जा रही है. बिरला ने बिल्डिंग के कांसेप्ट के बारे में भी अभियंताओं से चर्चा की है. इसका निर्माण सीपीडब्ल्यूडी 100 एकड़ में 121 करोड़ की लागत से करवा रही है. ओम बिरला ट्रिपल आईटी का दौरा कर वापस कैंप ऑफिस पर लौट रहे थे. इसी दौरान तलवंडी इलाके में चाय की थड़ी पर कई सारे कोचिंग छात्र मौजूद थे. स्पीकर बिरला ने गाड़ी रुकवा कर कोचिंग छात्रों के साथ में बातचीत की.
ग्रीन और होलो कांसेप्ट बन रहे बिल्डिंग:बिरला को सीपीडब्ल्यूडी अभियंताओं ने बताया कि परिसर में एकेडमिक ब्लॉक, लैब और अकेडमिक ब्लॉक बनेगा. ये पूरी तरह से वातानुकूलित बिल्डिंग रहेगी. इसमें हॉस्टल भी मल्टीस्टोरी बनाए जा रहे हैं, जिनमें 850 छात्रों की क्षमता होगी. इसमें 700 छात्र और 150 छात्राओं के रहने की व्यवस्था होगी. साथ ही स्टाफ क्वार्टर और निदेशक आवास के लिए भी मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बनाई जा रही है. ये सभी 3 स्टार ग्रिहा डिजाइन और भूकंपरोधी हैं. इन्हें राजस्थानी वास्तु शैली और आधुनिकता तकनीक का समावेश करते हुए बनाया जा रहा है. परिसर में बगीचा, खेल प्रांगण और 5000 पौधों को रोपा जाएगा.
ट्रिपल आईटी कोटा के कार्यवाहक निदेशक प्रो. एके व्यास का कहना है कि बिल्डिंग की खासियत ये है कि इसके कमरों की ऊंचाई काफी दी गई है. इसके साथ ही कमरे पूरी तरह से वातानुकूलित हैं. गर्मी में यहां का तापमान करीब 45 से 48 डिग्री सेल्सियस के बीच में रहता है. ऐसे में स्टूडेंट्स और फैकल्टी अपना काम कर सकें, इसके अनुसार ही बिल्डिंग बनाई जा रही है. पूरी बिल्डिंग को रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम से जोड़ा गया है. यहां बिल्कुल भी पानी बर्बाद नहीं जाएगा और इस पानी का उपयोग हॉर्टिकल्चर में किया जाएगा. इसके अलावा तापमान को कंट्रोल रखने के लिए होलो ब्लॉक्स यूज किए गए हैं. इसमें इंसुलेशन प्रॉपर्टी होती है, जिससे होलो ब्लॉक के कारण तापमान ज्यादा होता है, तब अंदर गर्मी नहीं जा पाती है. दूसरा ये हल्के होते हैं, जिससे बिल्डिंग के फाउंडेशन पर भी वजन कम होता है और लागत भी कम आती है.