नालंदा : शौचालय की सीट पर खाना बना रही इस वृद्ध महिला का नाम कौशल्या देवी (Kaushalya Devi) है. सरकार ने जिस शौचालय को गांव के लोगों के खुले में जाने से रोकने के लिए बनवाया था वह इनका आशियाना है. शौचालय में ही वह अपनी पोती सपना कुमारी (Sapna Kumari) के साथ रहती है. बचपन में ही अपने माता-पिता को खो चुकी सपना का एक मात्र सहारा उसकी दादी है. वह दादी को एक पल के लिए भी नहीं छोड़ती.
मामला नालंदा (Nalanda) जिले के करायपरसुराय थाना क्षेत्र के वार्ड संख्या 3 के दिरीपर गांव का है. अपनी पोती सपना कुमारी के साथ वृद्धा शौचालय में रहती है और किसी तरह भीख मांगकर बच्ची का पेट पाल रही है. जीवन के अंतिम पड़ाव में पहुंच चुकीं कौशल्या देवी की ऐसी हालत पहले न थी. कभी उसका भी हंसता-खेलता परिवार था. अपना घर था और दो जून की रोटी की चिंता नहीं थी, लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था.
बारिश में ढह गया था कच्चा घर
भगवान ने एक ही झटके में बेटा और बहू दोनों को छीन लिया. साथ रह गई पोती सपना. घर में कोई कमाऊ सदस्य न रहा और बुढ़ापे में कोई काम भी नहीं दे रहा था. बच्ची को भूख से तड़पता न देख सकी तो गांव के लोगों के सामने हाथ फैलाना पड़ा. पानी और धूप से बचने के लिए कच्चा घर था, लेकिन वह भी बारिश में ढह गया. मजबूरी में गांव के शौचालय में शरण लेनी पड़ी.