कटिहार:बिहार के कटिहार में कैमरे में एक खौफनाक हकीकतकैद हुई हैं. बताया जाता है कि एक बुजुर्ग हॉकर, जैसे ही ट्रेन खुली वो गेट पर सवार हो गया, लेकिन जैसे ही वह बोगी के अन्दर जाने की कोशिश करता है अचानक गेट जोरदार आवाज के साथ बंद हो जाती है. इस दौरान काफी देर तक अफरा-तफरी की स्थिति बनी रही.
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कटिहार में चलती ट्रेन की खिड़की से लटका बुजुर्ग: काफी मशक्कत के बाबजूद ट्रेन का गेट नहीं खुलता है और दूसरी ओर ट्रेन रफ्तार पकड़ लेती है. यदि हॉकर की ट्रेन के गेट और खिड़की के लोहे पर से पकड़ ढीली होती, तो वह ट्रेन की रफ्तार में गिरकर काल के गाल में समा जाता या सीधे अस्पताल पहुंच जाता. लेकिन कोच के अंदर मौजूद यात्रियों ने उस हॉकर को गमछे से बांधा और लगातार बुजुर्ग को ढाढ़स बंधाते रहे कि चिंता मत करिए आपको गिरने नहीं देंगे.
ऐसे हुआ हादसा:मामला कटिहार रेल डिवीजन के दालकोला अलुआबाड़ी रेलखंड का है, जहां सिलीगुड़ी कटिहार इंटरसिटी एक्सप्रेस कटिहार की ओर आ रही थी. इसी दौरान ट्रेन जैसे ही अलुआबाड़ी स्टेशन से खुली वैसे ही एक बुजुर्ग हॉकर ट्रेन पर चढ़ने की कोशिश करने लगा. इस दौरान जैसे ही बुजुर्ग ने कोच की सीढ़ियों पर पैर रखा वैसे ही ट्रेन खुल गई.
यात्रियों ने दिया सूझबूझ का परिचय:इसी बीच ट्रेन का दरवाजा बंद हो जाता हैय गेट पर लटका हॉकर गेट खोलने की कड़ी मशक्कत करता है लेकिन गेट जाम हो जाता है और इसी बीच ट्रेन अपनी रफ्तार पकड़ लेती है. मौत और जिन्दगी के बीच हॉकर को लटका देख यात्रियों का दिल पसीज जाता है. यात्रियों में से एक ने गमछा देकर हॉकर के पीठ को चारों से लपेट दिया. यात्रियों की भीड़ उस बुजुर्ग हॉकर को जोर से कोच के लोहे को पकड़ने की आवाज लगाती रहती है.
बच गई बुजुर्ग हॉकर की जान: यात्रियों की इस मदद और आवाज से बुजुर्ग हॉकर भी कोच के खिड़की के रॉड को पकड़े रहता है और इस बीच अगला स्टेशन आ जाता है. इस तरह उस बुजुर्ग हॉकर की जान बच पायी. अब सवाल उठता है कि आखिर रेल कोचों की जब रोजाना साफ सफाई होती है और फिटनेस का चेकअप होता है तो अचानक गेट बंद हो जाने जैसी घटनाएं क्यों होती हैं. ऐसे में किसी की जान चली गयी तो कौन जिम्मेदार होगा?