शिमला:हिमाचल प्रदेश में सरकारी सेवा में तैनात अफसर अब अपनी पोस्टिंग वाले स्टेशन पर जमीन और अचल संपत्ति यानी इमूवेबल प्रॉपर्टी (भवन) नहीं खरीद सकेंगे. इस बारे में सुखविंदर सिंह सरकार ने आदेश जारी कर दिए हैं. सरकार के इस फैसले की सोशल मीडिया पर खूब तारीफ हो रही है. छोटे पर्वतीय राज्य हिमाचल प्रदेश में यहां की सीमित भूमि को स्थानीय नागरिकों के हित में बचाए रखने के लिए धारा-118 लागू है. यहां बाहरी राज्यों के लोग जमीन नहीं खरीद सकते. अलबत्ता विशेष परिस्थितियों में कैबिनेट की मंजूरी के बाद जमीन खरीदी जा सकती है.
अधिकारी नहीं खरीद पाएंगे जमीन- बता दें कि पूर्व में राज्य सरकार के बड़े और प्रभावशाली अफसरों ने जमीन व संपत्ति आदि खरीदी है. बाहरी राज्यों के निवासी कुछ अफसरों के यहां सेब बागान भी हैं. फिलहाल, सुखविंदर सिंह सरकार के नए फैसले के अनुसार अब राज्य सरकार के अफसर अपनी पोस्टिंग के दौरान वहां कोई अचल संपत्ति नहीं खरीद पाएंगे. यही नहीं, ट्रांसफर होने के दो साल के बाद भी पूर्व की पोस्टिंग वाले स्टेशन में वे जमीन आदि नहीं खरीद सकते. आदेश के अनुसार यदि किसी अफसर का स्थानांतरण हो जाए तो भी पूर्व की तैनाती वाली जगह में उसके क्षेत्राधिकार में आने वाले इलाके में दो साल तक जमीन, भवन, अथवा अचल संपत्ति खरीदने पर रोक होगी. राज्य सरकार के शासन आदेश के अनुसार अधिकारी अपने रिश्तेदारों के नाम भी जमीन नहीं ले सकेंगे.
28 श्रेणियों के अफसर नहीं ले सकेंगे जमीन- हिमाचल सरकार के कार्मिक विभाग की तरफ से भूमि खरीदने पर लगाई गई रोक को लेकर जारी किए गए शासन के आदेश में डिविजनल कमिश्नर यानी मंडल आयुक्त सहित एडीसी, एडीएम से लेकर पुलिस विभाग के डीआईजी और नगर निगम के जूनियर इंजीनियर्स को मिलाकर करीब 28 श्रेणियों के अफसरों पर ये पाबंदी होगी. कार्मिक विभाग के आदेश में स्पष्ट किया गया है कि इनकी अवहलेना पर ऑल इंडिया सिविल सर्विस कंडक्ट रूल्स व सिविल सर्विस कंडक्ट रूल्स के तहत एक्शन लिया जाएगा.
परिजनों के नाम पर नहीं खरीद सकेंगे जमीन-उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में सरकार ने इसी संदर्भ में वर्ष 1996 में सबसे पहले ऐसे आदेश जारी किए थे. बताया जाता है कि प्रभावशाली अफसरों ने इसका तोड़ निकाल लिया था. कुछ लोग अपने परिजनों के नाम पर जमीन खरीद रहे थे. कई अफसरों ने अपनी तैनाती वाली जगह में कार्यक्षेत्र में अपने और अपने परिजनों के नाम अचल संपत्तियां खरीद ली. हालांकि सचिवालय और विभागों के निदेशालयों में तैनात अधिकारियों पर ये आदेश लागू नहीं होते.