नवरात्रि मां कुष्मांडा : इस समय संपूर्ण विश्व में नवरात्रि का पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है. जैसा कि हम सब जानते हैं नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है. शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा का विधान है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां कुष्मांडा ने ही इस सृष्टि की रचना की थी. उनका रूप अत्यंत सौम्य व शांत, सौम्य व आकर्षक है.
Maa Kushmanda सृष्टि की शक्ति का मूल स्रोत हैं एवं सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं.सबसे रोचक बात ये है कि मां को कुष्मांड या कद्दू अथवा कुम्हड़ा बहुत ही प्रिय है इस कारण उन्हें कुष्मांडा देवी के नाम से पुकारा जाता है. Kushmanda Mata सिंह पर सवारी करती हैं अर्थात उनका वाहन सिंह है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार जब सृष्टि में कुछ नहीं था एवं चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था, तब मां कुष्मांडा ने अपनी मंद-मंद मुस्कान से इस सृष्टि की रचना की थी. यदि Kushmanda Devi के स्वरूप की बात करें तो उनका रूप अत्यंत ही तेजस्वी है. कुष्मांडा माता की आठ भुजाएं हैं और माता कुष्मांडा अपने हाथों में धनुष-बाण, कमंडल, कमल का पुष्प, चक्र, गदा और अमृत कलश धारण करती हैं.
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