भुवनेश्वर: , 27 मार्च (आईएएनएस)| ओडिशा में साल 2000 से अब तक विभिन्न कारणों से 1,356 हाथियों की मौत हो चुकी है. जहां 2000-01 में केवल 20 हाथियों की मौत हुई, वहीं 2020-21 में इनकी संख्या बढ़कर 77 तक पहुंच गई. इस वित्तीय वर्ष में अक्टूबर तक कम से कम 42 जंबो को मौत की सूचना मिली थी. एक आरटीआई क्वेरी के जवाब में ओडिशा के मुख्य वन्यजीव वार्डन के कार्यालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 2018-19 में सबसे ज्यादा हाथियों की मौत (93) हुई थी. उसके बाद 2015-16 में 86 और 2010-11 में 83 हाथी की मौत हुई थी. इसी तरह 2012-13 में और 2019-20 में भी 82 जंबो की मौत हुई.
शिकारियों द्वारा 136 हाथी मारे गए, 19 जहर के कारण, 33 ट्रेन हादसे में. छह सड़क हादसों में और 204 अन्य दुर्घटनाओं में मारे गए. बिजली की चपेट में आने से 206 जंबो मारे गए, जिनमें से 106 जानबूझकर मारा गया जबकि 34 हाथियों की प्राकृतिक कारणों से मौत हुई. वन्यजीव कार्यालय को अन्य 176 हाथियों की मौत का कारण नहीं पता है क्योंकि शवों के अत्यधिक सड़ने के बाद मामले दर्ज किए गए थे. इसीलिए उसका पोस्टमार्टम नहीं किया जा सका. बाकी हाथियों ने संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया - 51 की मौत एंथ्रेक्स से, सात दाद से और 334 अन्य बीमारियों से हुई. पूर्वी राज्य में 1,976 हाथी थे, 2017 में हुई पिछली जनगणना के अनुसार.
2012 में राज्य में 1930 जंबो थे, जो कि 2015 में बढ़कर 1954 तक पहुंच गई. हाथियों के संरक्षण के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताते हुए, मुख्य वन्यजीव वार्डन के कार्यालय ने कहा कि सरकार ने जंबो की मौत की जांच के लिए मयूरभंजा, संबलपुर और महानदी हाथी संरक्षण परियोजनाओं को अधिसूचित किया है. राज्य ने 14 पारंपरिक हाथी भी चुने हैं हाथियों की निर्बाध आवागमन के लिए गलियारे.