बर्द्धमान (पश्चिम बंगाल) : परिवार के लिए एक पक्का मकान की चाह रखने वाला छोटू सरदार अपने इस सपने को पूरा करने के लिए काम की तलाश में पिता सुखलाल के साथ केरल जा रहा था, लेकिन ओडिशा के बालासोर में हुई ट्रेन दुर्घटना में छोटू की मौत होने से मानो सब कुछ खत्म हो गया है. इस भीषण हादसे में छोटू के पिता सुखलाल बाल-बाल बच गए हैं, लेकिन अपने बेटे की मौत से वह पूरी तरह से टूट गए हैं. छोटू (18) की मौत की खबर जैसे ही पश्चिम बंगाल के बर्द्धमान जिले के कटवा के कोरुई गांव में उसके घर पहुंची, तो पूरे गांव में मातम छा गया. स्थानीय लोगों के मुताबिक सुखलाल लंबे समय से केरल में राजमिस्त्री का काम कर रहे हैं और पहली बार अपने बेटे छोटू को अपने साथ ले जा रहे थे.
सुखलाल चाहते थे कि उनके परिवार का जीवन बेहतर हो, इसलिए वह अपने बेटे को राजमिस्त्री के काम का प्रशिक्षण देना चाहते थे और उसे केरल साथ ले जा रहे थे. वे शुक्रवार को कोरोमंडल एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे गांव के 10 लोगों में शामिल थे। सुखलाल की हालत फिलहाल गंभीर है और ओडिशा के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है. स्थानीय लोगों ने कहा कि समूह के कई सदस्य अब भी लापता हैं. ट्रेन दुर्घटना में पास के कैथन गांव के 28 वर्षीय सद्दाम शेख की भी जान चली गई. उनके परिवार में पत्नी और एक माह का बेटा है.