नई दिल्ली : ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे के जिन मृतकों के शवों की अब तक शिनाख्त नहीं हो सकी है, उनकी पहचान के लिए रेलवे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संचालित वेबसाइट और सिम कार्ड की त्रिकोणन विधि का उपयोग कर रहा है. अधिकारियों ने बताया कि दो जून को हुई दुर्घटना में मारे गए 288 लोगों में से 83 शव बुधवार तक लावारिस पड़े थे. रेलवे ने शुरू में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) की एक टीम को घटनास्थल पर बुलाया था ताकि मृतकों की पहचान के लिए उनके अंगूठे के निशान लिए जा सकें.
फिंगर प्रिंट से पहचान निकालना हो गया था मुश्किल
एक अधिकारी ने कहा कि लेकिन यह उपाय कारगर नहीं हो पाया क्योंकि ज्यादातर मामलों में अंगूठे की त्वचा क्षतिग्रस्त हो गई थी और निशान लेना मुश्किल था. फिर हमने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संचालित 'संचार साथी' पोर्टल का उपयोग करके शवों की पहचान करने के बारे में सोचा. अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में शुरू किए गए संचार साथी वेब पोर्टल का इस्तेमाल 64 शवों की पहचान के लिए किया गया और यह 45 मामलों में सफल रहा.
तस्वीर से मिला फोन नंबर, फोन नंबर से मिला पता
'संचार साथी' ग्राहकों को उनके नाम पर जारी किए गए मोबाइल कनेक्शन को जानने और अपने खोए हुए स्मार्टफोन का पता लगाने और उसे ब्लॉक करने की अनुमति देता है. कृत्रिम मेधा आधारित इस पोर्टल को हाल ही में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा लॉन्च किया गया था. उनके पास सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की भी जिम्मेदारी है. ट्रेन दुर्घटना के पीड़ितों के शवों की पहचान करने के लिए, पोर्टल ने उनकी तस्वीरों का उपयोग करके पीड़ितों के फोन नंबर और आधार विवरण का पता लगाया. अधिकारियों ने बताया कि इसके बाद उनके परिवार के सदस्यों से संपर्क किया गया.