भुवनेश्वर: बालासोर ट्रेन हादसे के बाद ओडिशा सरकार के सामने एक नया संकट खड़ा हो गया है. मुर्दाघरों में ऐसे शवों का ढेर लगा है जिनकी अभी शिनाख्त नहीं हो पायी है या जिन्हें लेने के लिए कोई दावेदार सामने नहीं आए हैं. ऐसे लावारिस शवों की संख्या इतनी अधिक है कि मुर्दाघरों में जगह कम पड़ गई है. बड़ी संख्या में ऐसे शवों से निपटने में असमर्थ ओडिशा सरकार ने बालासोर से 187 शवों को भुवनेश्वर भिजवाया लेकिन यहां भी जगह की कमी शवगृह प्रशासकों के लिए परेशानी खड़ी कर रही है.
भुवनेश्वर एम्स में 100 शव रखे गए हैं जबकि बाकी शव कैपिटल अस्पताल, अमरी अस्पताल, सम अस्पताल एवं अन्य निजी अस्पतालों में भेजे गये हैं. भुवनेश्वर एम्स के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ यहां भी शवों को संभालकर रखना हमारे लिए एक असल चुनौती है क्योंकि हमारे यहां अधिकतम 40 शवों को रखने की सुविधा है.’’ उन्होंने कहा कि शरीर रचना विभाग में अतिरिक्त इंतजाम किये गये हैं. भुवनेश्वर एम्स के प्रशासन ने शवों की पहचान होने तक उन्हें संभालकर रखने के लिए बड़ी संख्या में ताबूत, बर्फ और फार्मलिन रसायन खरीदा है.
सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार के अधिकारियों ने शनिवार को दुर्घटनास्थल पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दौरे के दौरान उनके सामने शवों को संभालकर रखने के सिलसिले में उत्पन्न स्थिति की ओर ध्यान आकृष्ट किया. अधिकारी ने कहा, ‘‘ गर्मी के इस मौसम में शवों को संभालकर रखना वाकई मुश्किल है. ’’
सूत्रों ने बताया कि दुर्घटनास्थल से ही प्रधानमंत्री ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से बात की तथा इन शवों को भुवनेश्वर एम्स में रखवाने का इंतजाम करवाने को कहा. मांडविया तत्काल रात में ही भुवनेश्वर आये और उन्होंने यहां कई बैठकें की.
ओडिशा के मुख्य सचिव पी के जेना ने कहा कि शनिवार को 85 एम्बुलेंस से शव भुवनेश्वर लाये गये और अन्य 17 शव रविवार को लाये गये. ओडिशा की स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव शालिनी पंडित ने एक न्यूज एजेंसी से कहा, ‘‘ सभी शव (मुर्दाघरों की कमी के कारण) प्रशीतन भंडारण गृह में रखे गये हैं.’’