भुवनेश्वर :ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के पूर्व निजी सचिव और भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी वीके पांडियन ने सोमवार को सरकारी सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी. उनके सेवानिवृत्ति लेने के 24 घंटे से भी कम समय में उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिल गया, जिसे लेकर अब पांडियन सुर्खियों में हैं. उन्हें '5 टी' (परिवर्तनकारी पहल) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. एक अधिसूचना में मंगलवार को यह जानकारी दी गई. पांडियन ने सोमवार को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी. सामान्य प्रशासन और लोक शिकायत विभाग ने बताया, "वीके पांडियन को कैबिनेट मंत्री के दर्जे के साथ 5 टी (परिवर्तनकारी पहल) और नवीन ओडिशा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है और वह सीधे मुख्यमंत्री के अधीन काम करेंगे."
गौरतलब है कि ओडिशा सीएम नवीन पटनायक के पूर्व सहयोगी पांडियन ने विधानसभा चुनावों से पहले सोमवार को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी, जिसके बाद राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी बीजू जनता दल (बीजद) के सूत्रों ने उनके दल में शामिल होने की संभावना जतायी थी. बता दें कि वीके पांडियन ओडिशा सीएम के बेहद करीबी माने जाते हैं और अक्सर विवादों में रहे हैं. विपक्षी पार्टियों का हमेशा से पांडियन पर आरोप रहा कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर राजनीतिक लाभ उठाया है.
ओडिशा सरकार की ओर से जारी अधिसूचना वीके पांडियन कौन हैं : वीके पांडियन मूल रूप से गंजाम के निवासी हैं. ओडिशा कैडर के 2000 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. साल 2011 में मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में नियुक्त हुए और तभी से वो सीएम पटनायक के निजी सचिव बने रहे. नवीन पटनायक के 2019 में पांचवी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद, पांडियन को सरकारी विभागों में कुछ परिवर्तनकारी पहलों को लागू करने के लिए '5 टी सचिव' की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई थी. पांडियन ने साल 2002 में कालाहांडी जिले के धर्मगढ़ में बतौर सब-कलेक्टर के पद से अपने करियर की शुरूआत की थी. इसके बाद साल 2005 में उन्हें मयूरभंज का जिलाधिकारी नियुक्त किया गया. साल 2007 में पांडियन का तबादला गंजाम कर दिया गया और वहां उन्होंने जिलाधिकारी का पद संभाला. इसी दौरान पांडियन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के करीबी हो गए.
ओडिशा सीएम के पूर्व निजी सचिव वीके पांडियन विवादों में पांडियन :राज्य मेंवीके पांडियन के तूफानी दौरे और जन शिकायतों को सुनने के लिए कई बैठकें करने को लेकर वह अक्सर विपक्षी दलों की नजरों में खटकते रहे हैं. भाजपा और कांग्रेस ने यह तक कहा कि पांडियन को इस्तीफा देकर आधिकारिक रूप से बीजद में शामिल हो जाना चाहिए.नवीन पटनायक के करीबी सहयोगी पांडियन के सरकारी सेवा में रहकर पार्टी प्रचार करने को लेकर वह कई बार विपक्षी दलों के टार्गेट में रहे. कांग्रेस सांसद सप्तगिरी उल्का ने पांडियन की सेवानिवृत्ति पर कहा था कि पांडियन अगर अगले निर्वाचन से पहले राज्य के सीएम का पद संभाल लेते हैं, तो उन्हें इस पर जरा भी आश्चर्य नहीं होगा.
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