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OCCRP Report on Adani Group : अडाणी ग्रुप पर हिंडनबर्ग जैसी ही एक और रिपोर्ट, शेयर भाव में गिरावट, ग्रुप ने बताया- रीसाइकिल्ड आरोप

अडाणी ग्रुप पर हिंडनबर्ग जैसी ही एक और रिपोर्ट सामने आई है. इस रिपोर्ट को ओसीसीआरपी ने जारी की है. ओसीसीआरपी की फंडिंग जॉर्ज सोरोस करते हैं. इस रिपोर्ट के बाद अडाणी ग्रुप की कंपनियों में शेयर के भाव काफी नीचे आ गए. हालांकि, ग्रुप ने इस रिपोर्ट का जवाब दिया है और इसे रीसाइकिल्ड रिपोर्ट बताया है. कंपनी ने कहा कि इसमें कुछ भी नया नहीं है, यह हिंडनबर्ग की लगभग फोटो कॉपी जैसी है.

OCCRP Adani Row
प्रतिकात्मक तस्वीर

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 31, 2023, 12:01 PM IST

नई दिल्ली : संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) ने गुरुवार को आरोप लगाया कि प्रमोटर परिवार के भागीदारों ने मॉरीशस स्थित 'अपारदर्शी' निवेश फंडों के माध्यम से सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाले अडाणी समूह के शेयरों में करोड़ों डॉलर का निवेश किया गया था. ओसीसीआरपी जॉर्ज सोरोस और रॉकफेलर ब्रदर्स फंड जैसे लोगों द्वारा वित्त पोषित एक संगठन है.

OCCRP की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट का एक स्क्रीन शॉट.

कई टैक्स हेवन और आंतरिक अडाणी समूह के ईमेल से फाइलों की समीक्षा का हवाला देते हुए, ओसीसीआरपी ने कहा कि इसकी जांच में कम से कम दो मामले पाए गए जहां 'रहस्यमय' निवेशकों ने ऐसी ऑफशोर संरचनाओं के माध्यम से अडाणी स्टॉक खरीदा और बेचा. दो व्यक्ति, नासिर अली शाबान अहली और चांग चुंग-लिंग के बारे में OCCRO ने दावा किया है कि उनके अडानी परिवार के साथ लंबे समय से व्यापारिक संबंध हैं.

ओसीसीआरपी की रिपोर्ट के मुताबिक, नासिर अली शाबान अहली और चांग चुंग-लिंग ने गौतम अडानी के बड़े भाई, विनोद अडानी से जुड़ी समूह कंपनियों और फर्मों में निदेशक और शेयरधारक के रूप में भी काम किया है. वर्षों तक अडानी स्टॉक को विदेशी संरचनाओं के माध्यम से खरीदा और बेचा गया जिससे उनकी भागीदारी अस्पष्ट हो गई. इस प्रक्रिया में समूह ने काफी मुनाफा कमाया. दस्तावेजों से पता चलता है कि उनके निवेश की प्रभारी प्रबंधन कंपनी ने विनोद अडानी कंपनी को उनके निवेश पर सलाह देने के लिए भुगतान किया था.

हालांकि अडाणी समूह ने ताजा आरोपों का खंडन किया है. ओसीसीआरपी को बताया कि मॉरीशस के फंडों का नाम पहले ही अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिपोर्ट में दिया जा चुका है. नये आरोपों में हिंडनबर्ग के आरोपों को भी दोहराया गया है.

पीटीआई ने 24 अगस्त को रिपोर्ट दी थी कि सोरोस द्वारा वित्त पोषित संगठन, जो खुद को यूरोप, अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में फैले 24 गैर-लाभकारी जांच केंद्रों द्वारा गठित एक जांच रिपोर्टिंग मंच कहता है. एक शीर्ष भारतीय कॉर्पोरेट कंपनी के खिलाफ नए आरोपों के प्रकाशन की योजना बना रहा है.

अपनी रिपोर्ट में ओसीसीआरपी ने पूछा कि क्या अहली और चांग को अडाणी प्रमोटरों की ओर से कार्य करने वाला माना जाना चाहिए. यदि ऐसा है, तो अडाणी समूह में उनकी हिस्सेदारी का मतलब यह होगा कि अंदरूनी लोगों के पास कुल मिलाकर कानून द्वारा अनुमत 75% से अधिक हिस्सेदारी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह भारतीय लिस्टिंग कानून का उल्लंघन है.

इसमें कहा गया है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि चांग और अहली के निवेश का पैसा अडाणी परिवार से आया था, लेकिन जांच में यह सबूत मिले हैं कि अडाणी स्टॉक में उनका व्यापार 'परिवार के साथ समन्वित' था. रिपोर्ट में कहा गया है कि अडाणी समूह की वृद्धि आश्चर्यजनक रही है, नरेंद्र मोदी के प्रधान मंत्री बनने से एक साल पहले सितंबर 2013 में बाजार पूंजीकरण 8 अरब डॉलर के मुकाबले पिछले साल 260 अरब डॉलर हो गया. यह समूह परिवहन और रसद, प्राकृतिक गैस वितरण, कोयला व्यापार और उत्पादन, बिजली उत्पादन और ट्रांसमिशन, सड़क निर्माण, डेटा सेंटर और रियल एस्टेट सहित कई क्षेत्रों में सक्रिय है.

अडाणी समूह की ओर से जारी किया गया बयान.

अडाणी समूह ने एक बयान जारी कर आरोपों का खंडन किया :इस संबध से अडाणी समूह ने एक बयान जारी कर आरोपों का खंडन किया है. कंपनी से गुरुवार को ही बयान जारी कर इन आरोपों का खंडन किया है. हम इन पुनर्चक्रित आरोपों को स्पष्ट रूप से अस्वीकार करते हैं. ये समाचार रिपोर्टें योग्यताहीन हिंडनबर्ग रिपोर्ट को पुनर्जीवित करने के लिए विदेशी मीडिया के एक वर्ग द्वारा समर्थित प्रतीत होती हैं.

कंपनी ने कहा कि वास्तव में, यह प्रत्याशित था, जैसा कि पिछले सप्ताह मीडिया रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया था. ये दावे एक दशक पहले के बंद मामलों पर आधारित हैं जब राजस्व खुफिया निदेशालय (ओआरआई) ने अधिक चालान, विदेश में धन के हस्तांतरण, संबंधित पार्टी लेनदेन और एफपीएल के माध्यम से निवेश के आरोपों की जांच की थी. एक स्वतंत्र निर्णायक प्राधिकरण और एक अपीलीय न्यायाधिकरण दोनों ने पुष्टि की थी कि कंपनी की ओर से मूल्यांकन में कोई गड़बड़ी नहीं की गई है.

कंपनी ने कहा कि लेन-देन लागू कानून के अनुसार पाये गये थे. कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि मार्च 2023 में मामले को अंतिम रूप मिला जब भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया. स्पष्ट रूप से, चूंकि मूल्यांकन में कोई गड़बड़ी नहीं थी इसलिए धन के हस्तांतरण पर इन आरोपों की कोई प्रासंगिकता या आधार नहीं है.

विशेष रूप से, ये एफपीएल पहले से ही भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की जांच का हिस्सा हैं. माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति के अनुसार, न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) आवश्यकताओं के उल्लंघन या स्टॉक की कीमतों में हेरफेर का कोई सबूत नहीं है.

कंपनी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन प्रकाशनों ने, जिन्होंने हमें प्रश्न भेजे थे, हमारी प्रतिक्रिया पूरी तरह से प्रकाशित नहीं करने का निर्णय लिया. इन प्रयासों का उद्देश्य, अन्य बातों के साथ-साथ, हमारे स्टॉक की कीमतों को कम करके मुनाफा कमाना है. इन शॉर्ट सेलर की विभिन्न अधिकारियों द्वारा जांच की जा रही है. चूंकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय और सेबी इन मामलों की निगरानी कर रहे हैं, इसलिए चल रही नियामक प्रक्रिया का सम्मान करना महत्वपूर्ण है.

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हमें कानून की उचित प्रक्रिया पर पूरा भरोसा है और हम अपने खुलासों की गुणवत्ता और कॉर्पोरेट प्रशासन मानकों के प्रति आश्वस्त हैं. इन तथ्यों के आलोक में, इन समाचार रिपोर्टों का समय संदिग्ध, शरारत से भरा हुआ और दुर्भावनापूर्ण है. कंपनी ने अपने बयान में कहा कि हम इन रिपोर्टों को पूरी तरह से खारिज करते हैं.

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