जबलपुर : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक बार फिर ओबीसी आरक्षण पर लगे हुए मुकदमों की सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने फिलहाल यह स्पष्ट कर दिया है कि अगली सुनवाई तक मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग को 14% आरक्षण ही दिया जाएगा. इस मामले की अगली सुनवाई एक सितंबर के लिए तय की गई है.
सामान्य वर्ग के वकील ने किया विरोध
हालांकि राज्य सरकार की ओर से यह पक्ष रखा जा रहा है कि कुछ राज्यों में जनसंख्या के आधार पर आरक्षण लागू किया गया है. मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग की आबादी के अनुसार आरक्षण दिया जाना चाहिए, लेकिन सामान्य वर्ग की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता का कहना है कि आरक्षण का आधार जनसंख्या नहीं हो सकता, बल्कि इसके दूसरे पैमाने हैं. जिनमें सामाजिक रूप से पिछड़ापन और आर्थिक रूप से पिछड़ापन शामिल है, इसलिए केवल जनसंख्या को आधार बनाकर आरक्षण नहीं दिया जा सकता.
ओबीसी आरक्षण 14 फीसद ही रहेगा हाईकोर्ट में 40 से ज्यादा याचिकाएं लगीं
इस मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में 40 से ज्यादा याचिकाएं लगी हुई हैं. हालांकि बीते दिनों मेडिकल ऑफिसर रॉकी भर्ती के मामले में राज्य सरकार ने 14% आरक्षण ही दिया है. इस याचिका में चुनौती दी गई है. ओबीसी आरक्षण का मुद्दा कोर्ट में तो चल ही रहा है, लेकिन कोर्ट के बाहर भी इस मुद्दे पर राजनीतिक आंदोलन भी जारी है. ओबीसी महासभा की ओर से लोगों ने इस बात का विरोध भी किया था. राज्य सरकार के वकील हाईकोर्ट में सही ढंग से पैरवी नहीं कर पा रहे हैं.
युगलपीठ ने याचिकाओं की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि सरकार के आवेदन पर मेडिकल क्षेत्र में 13 प्रतिशत आरक्षण को होल्ड करने के निर्देश जारी किये हैं. कोरोना महामारी के कारण मेडिकल क्षेत्र में 14 प्रतिशत आरक्षण के साथ सिलेक्शन लिस्ट जारी करने के लिए सरकार को स्वतंत्रता प्रदान की गयी है. इन नियुक्तियों के लिए यह आदेश प्रभावी नहीं होगा.
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