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क्या ओबीसी विधेयक से सच होगा रामविलास पासवान का सपना ? - संसद समाचार

लोजपा सांसद प्रिंस राज ने कहा कि ओबीसी विधेयक के साथ उनकी पार्टी के संस्थापक दिवंगत रामविलास पासपवान का एक और सपना सच होता दिख रहा है. उन्होंने कहा कि हमारे चाचा आज होते, तो वो बहुत खुश होते. विधेयक पर क्या कुछ कहा उन्होंने, जानने के लिए क्लिक करें.

सांसद प्रिंस राज का बयान
सांसद प्रिंस राज का बयान

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Published : Aug 10, 2021, 9:09 PM IST

नई दिल्ली : क्या ओबीसी विधेयक पारित होने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का सपना सच होगा ? कम से कम लोक जनशक्ति पार्टी का तो ऐसा ही मानना है. ओबीसी सूची से जुड़े 127वें संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान पासवान के भतीजे और लोजपा सांसद प्रिंस राज ने कहा कि इस विधेयक के साथ उनकी पार्टी के संस्थापक दिवंगत रामविलास पासपवान का एक और सपना सच होता दिख रहा है.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार के इन कदमों से विश्वास है कि अब राजनीतिक आजादी के साथ देश को शैक्षणिक और आर्थिक आजादी भी मिलेगी.

लोक सभा में ओबीसी सूची से जुड़े विधेयक पर सांसद प्रिंस राज का बयान

बता दें कि लोजपा संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय रामविलास पासवान में राजनीतिक माहौल भांपने की गजब की काबिलियत थी. इसलिए उन्हें 'राजनीति का मौसम वैज्ञानिक' कहा जाता था. रामविलास पासवान का जन्म 5 जुलाई, 1946 को बिहार के खगड़िया जिले में एक दलित (अनुसूचित जाति) परिवार में हुआ था. पासवान के निधन के बाद उन्हें पद्म सम्मान से भी अलंकृत किया गया था.

पासवान ने खुद को बिहार के दलितों और अन्य निम्न जाति के नेता के साथ-साथ राज्य के मुस्लिम समुदाय के नेता के रूप में पहचान बनाई. रामविलास पासवान को अक्सर वंशवादी कहा जाता था. वह अपने भाइयों पशुपति कुमार पारस और राम चंद्र पासवान को राजनीति में लाए. 2019 में लोजपा ने जिन छह सीटों पर जीत हासिल की, उनमें से तीन उनके परिवार से थीं – बेटा चिराग, और भाई पशुपति कुमार पारस और राम चंद्र पासवान. राम चंद्र की मृत्यु के बाद उनके पुत्र राजकुमार राज को उत्तराधिकारी बनाया गया.

पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान से जुड़े कुछ अहम तथ्य

गौरतलब है कि प्रिंस राज के अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को इंदिरा साहनी मामले में आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा संबंधी विषय पर अदालत में महाराष्ट्र सरकार का साथ देना चाहिए.

उन्होंने भाजपा सदस्य संघमित्रा मौर्य के भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी की पहली वक्ता ने इस विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए दावा किया था कि 2011 में संप्रग के समय जातीय जनगणना कराई गयी और इसके आंकड़े प्रकाशित नहीं किये गये लेकिन यह सरकार ऐसा करेगी.

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सुले ने कहा कि भाजपा सदस्य ने इस तरह का दावा किया लेकिन केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस बारे में कुछ नहीं बोला, इसलिए भ्रम की स्थिति बन गयी है. सरकार को अपने जवाब में इस बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए.

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