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प्रवक्ताओं को सस्पेंड कर बीजेपी ने क्या संदेश दिया, कहीं 'टैक्टिकल चेंज' की तैयारी तो नहीं !

मुसलमानों को लेकर की गई टिप्पणी के बाद बीजेपी ने अपने दो प्रवक्ताओं को पार्टी से निलंबित कर दिया. इससे पहले आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत का एक महत्वपूर्ण बयान आया था. उन्होंने हर मस्जिद में शिवलिंग ढूंढने वालों को शांति की नसीहत दी. भागवत के बयान और बीजेपी प्रवक्ताओं के सस्पेंशन से सवाल उठने लगा है कि क्या बीजेपी अपनी पारंपरिक नीतियों को बदलने का प्रयास कर रही है ? क्या इससे बीजेपी की छवि बदलेगी? इन सवालों के जवाब तलाश रहे हैं ईटीवी भारत नेशनल ब्यूरो चीफ राकेश त्रिपाठी.

Is BJP's policy changing
Is BJP's policy changing

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Published : Jun 6, 2022, 4:44 PM IST

Updated : Jun 6, 2022, 4:54 PM IST

नई दिल्ली : पैगंबर पर विवादित टिप्पणी करने वाली बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा का निलंबन कर पार्टी ने पल्ला तो झाड़ लिया है. लेकिन नुपुर शर्मा और नवीन जिंदल पर कार्रवाई के बाद पार्टी के भीतर इस मामले को लेकर एक दूसरे किस्म की सुगबुगाहट शुरू हो गई है. बीजेपी के कई नेताओं का मानना है कि नूपुर शर्मा को निलंबित कर पार्टी ने न सिर्फ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सरकार और पार्टी दोनों की छवि बचाने की कोशिश की है, बल्कि फौरी तौर पर एक्शन लेकर मामले को ठंडा करने का भी प्रयास किया है, जो दोनों निलंबित प्रवक्ताओं की सुरक्षा के लिहाज़ से भी ज़रूरी था. अब सवाल ये है कि आखिर ऐसी नौबत आई ही क्यों?

बीजेपी की वरिष्ठ नेता और प्रयागराज की सांसद रीता बहुगुणा जोशी मानती हैं कि पार्टी ने ताजा मामले में प्रवक्ता को सस्पेंड कर बहुत अच्छा संदेश दिया है, क्योंकि किसी भी धर्म का असम्मान देश और हमारी पार्टी के संविधान के खिलाफ है. जोशी का मानना है कि हाल ही में घटी दो घटनाएं पार्टी के लिहाज़ से बहुत महत्वपूर्ण संदेश दे कर गईं हैं. एक तो ताज़ा मामले में पार्टी के प्रवक्ता पर कार्रवाई और दूसरा संघ के मुखिया मोहन भागवत का वह बयान जिसमें उन्होंने कहा था कि हमें हर मस्ज़िद में शिवलिंग नहीं खोजना चाहिए और हम इतिहास नहीं बदल सकते. रीता बहुगुणा जोशी का कहना है कि मोहन भागवत का संदेश आपने आप में यह बताने के लिए काफी है कि हमारा रास्ता असल में क्या है? इसलिए त्वरित कार्रवाई से संदेश ये गया है कि किसी दूसरे धर्म का भूल से भी किया गया असम्मान हमें बर्दाश्त नहीं है.

इस बीच संगठन में दबी ज़ुबान में एक दूसरी बहस भी चल पड़ी है. पहला सवाल यह है कि क्या पार्टी को प्रवक्ताओं की टीम में कुछ बदलाव करने चाहिए. एक सीनियर महिला नेता ने बताया कि टीवी पर होने वाली बहसों में उन्हें भी कई बार बुलाया गया लेकिन उन्होंने ये कह कर पल्ला झाड़ लिया कि वे बहस के लिए तो तैयार हैं, लेकिन टीवी चैनलों पर झगड़े और गाली-गलौज कतई मंजूर नहीं है. इस वरिष्ठ नेता का मानना है कि पार्टी के प्रवक्ता के तौर पर कई बार किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट, वकील या किसी मैनेजमेंट के धुरंधर को आगे करना भारी पड़ जाता है, क्योंकि उनमें बहस के दौरान स्थिति को संभालने की समझदारी नहीं होती. उनका राजनैतिक अनुभव और समाज से उनका जुड़ाव राजनीतिक डिबेट के लिए बिलकुल नाकाफी होता है.

भारतीय जनता पार्टी के एक पूर्व प्रवक्ता का कहना है कि आज के मौजूदा प्रवक्ताओं में उस राजनैतिक परिपक्वता की कमी है, जो लाइव शो में संभालने के लिए चाहिए होती है. जो समझदार हैं, वे बाहर हाशिए पर बैठा दिए गए हैं. किसी दूसरे धर्म पर बिना एक शब्द बोले भी अपनी बात प्रभावी ढंग से कही जा सकती है, अगर इसके लिए सही व्यक्ति चुना जाए. किसी भी प्रवक्ता को ध्यान रखना चाहिए कि टीवी पर बहस-मुबाहिसे तर्कों के साथ, बिना किसी की बेइज़्ज़ती किए हुए भी किए जा सकते हैं. बात यह भी की जा रही है कि बीजेपी कोई धार्मिक पार्टी नहीं है. राजनीति में अब ध्रुवीकरण का समय चला गया. अब एजेंडा विकास का है और अगर पार्टी प्रवक्ता धार्मिक मुद्दों पर असंयत हो कर बोलेंगे तो विकास का एजेंडा दरकिनार हो जाएगा.

बीजेपी की मोदी सरकार अपने दूसरे टर्म का आधा हिस्सा पूरा कर चुकी है. पिछले हफ्ते पार्टी के अध्यक्ष ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में साफ-साफ कहा था कि हमारे एजेंडे में मथुरा-काशी नहीं है. बाद में संघ के मुखिया मोहन भागवत का बयान भी आया. बहरहाल पार्टी के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि आने वाले कुछ दिनों में पार्टी प्रवक्ताओं के लिए कुछ अलिखित गाइडलाइंस जारी की जा सकती है, जिससे दोबारा कभी ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ का दावा करने वाली पार्टी को सरेआम मुंह की न खानी पड़े. संकेत साफ हैं कि पार्टी तय कर चुकी है कि लंबी दूरी तय करनी है तो नीतिगत बदलाव यानी 'टैक्टिकल चेंज' करने होंगे. राजनैतिक ध्रुवीकरण से अब परहेज़ करना होगा और धार्मिक विवादों से बचना होगा.

पढ़ें : नुपूर के बयान से भाजपा ने 'पल्ला झाड़ा', बोली- किसी भी धर्म का अपमान स्वीकार नहीं

Last Updated : Jun 6, 2022, 4:54 PM IST

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