मदुरै:विश्व प्रसिद्ध मीनाक्षी मंदिर की सुरक्षा में देश के सबसे ताकतवार सुरक्षा के जवान नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) तैनात होंगे. जी हां! ये बात बिल्कुल सही है और ऐसा फैसला आतंकी हमले (Terrorist Attacks) को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. इसी क्रम में शुक्रवार को एनएसजी के जांबाज कमांडो और राज्य पुलिस बल (Tamil Nadu Police) के जवानों ने सुरक्षा का मॉक ड्रिल (Mock Drill) भी किया.
तमिलनाडु: अब NSG की निगहबानी में होगा विश्व प्रसिद्ध मीनाक्षी मंदिर
तमिलनाडु में स्थित मां मीनाक्षी देवी का यह मंदिर विश्व के सात अजूबों में नामित है. वजह है यहां की वो महीन शिल्पकारी जिससे यहां मंदिर निर्माण किया गया है. देवी मीनाक्षी मां पार्वती का ही अवतार हैं.
मंदिर परिसर में तैनात एनएसजी
जानें मंदिर का पौराणिक महत्व
- मां मीनाक्षी भगवान शिव की पत्नी पार्वती का अवतार और भगवान विष्णु की बहन भी हैं. इस मंदिर में मां मीनाक्षी की पूजा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ पूरे दक्षिण भारत में करने की परंपरा है. हिंदू पौराणिक कथानुसार भगवान शिव सुन्दरेश्वरर रूप में अपने गणों के साथ पांड्य राजा मलयध्वज की पुत्री राजकुमारी मीनाक्षी से विवाह रचाने मदुरई नगर में आए थे.
- मीनाक्षी को देवी पार्वती का अवतार माना जाता है. इस मंदिर को देवी पार्वती के सर्वाधिक पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है. देवी पार्वती ने पूर्व में पांड्य राजा मलयध्वज, मदुरई के राजा की घोर तपस्या के फलस्वरूप उनके घर में एक पुत्री के रूप में अवतार लिया था. वयस्क होने पर उन्होंने नगर का शासन संभाला. तब भगवान आए और उनसे विवाह प्रस्ताव रखा जो उन्होंने स्वीकार कर लिया.
- मां का यह विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडू के मदुरै शहर में है. यह मंदिर मीनाक्षी अम्मन मंदिर प्राचीन भारत के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है. मां मीनाक्षी का यह अम्मन मंदिर को विश्व के नए सात अजूबों के लिए नामित किया गया है.
- मंदिर का मुख्य गर्भगृह 3500 वर्ष से अधिक पुराना माना जा रहा है. यह मंदिर भी भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है.
- इस विशाल भव्य मंदिर का स्थापत्य एवं वास्तु भी काफी रोचक है. जिस करण मां के इस मंदिर को सात अजूबों में नामांकित किया गया. इस इमारत में 12 भव्य गोपुरम है, जिन पर महीन चित्रकारी की है. इस मंदिर का विस्तार से वर्णन तमिल साहित्य में प्रचीन काल से होता आया है.
- वर्तमान में जो मंदिर है यह 17वीं शताब्दी में बनवाया गया था. मंदिर में आठ खंभों पर देवी लक्ष्मीजी के आठ स्वरूप की मूर्तियां अंकित हैं. इन पर भगवान शंकर की पौराणिक कथाएं अंकित हैं. यह मंदिर मीनाक्षी या मछली के आकार की आंख वाली देवी को समर्पित है. मछली पांड्य राजाओं को राजचिह्न है.