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NSCN की मांग, नगा शांति समझौता वार्ता को जल्द मुकाम पर पहुंचाए केंद्र - केंद्र सरकार के प्रतिनिधि एके मिश्रा

भारत सरकार और एनएससीएन-आईएम (NSCN-IM) के बीच शांति वार्ता अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. वार्ता के लंबे दौर के बाद एनएससीएन-आईएम ने अब सरकार के सामने वार्ता को जल्द से जल्द किसी नतीजे पर पहुंचाने की मांग रखी है.

nscn india naga talks
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Published : May 10, 2022, 6:35 PM IST

नई दिल्ली :नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (NSCN-IM) ने केंद्र सरकार से दशकों से चली आ रही नागा शांति वार्ता को किसी नतीजे पर पहुंचाने की मांग की है. एनएससीएन-आईएम के एक शीर्ष नेता ने मंगलवार को बताया कि वार्ता में शामिल केंद्र सरकार के प्रतिनिधि एके मिश्रा के साथ बैठक में इस बात पर जोर दिया है कि भारत-नागा शांति वार्ता बहुत लंबी खिंच गई है और लोग बेचैन हो रहे हैं, इसलिए फ्रेमवर्क एग्रीमेंट के आधार पर जल्द से जल्द इसे पूरा करना जरूरी है. ए के मिश्रा ने भी नगा नेताओं को भरोसा दिया कि केंद्र सरकार भी शांति वार्ता जल्द पूरा करना चाहती है. भारत-नगा राजनीतिक वार्ता के लिए केंद्र के वार्ताकार ए के मिश्रा ने हाल में ही नागालैंड का दौरा किया था और एनएससीएन-आईएम, नागा राष्ट्रीय राजनीतिक समूहों (एनएनपीजी) के नेताओं के साथ-साथ सरकारी अधिकारियों से मुलाकात की थी.

वार्ताकार के रूप में कार्यभार संभालने के बाद ए के मिश्रा ने दूसरी बार नगा नेताओं से मुलाकात की थी. उन्होंने पूर्व वार्ताकार और तमिलनाडु के मौजूदा राज्यपाल आरएन रवि की जगह ली थी. एनएससीएन-आईएम और केंद्र सरकार के बीच दशकों से चले आ रहे उग्रवाद के मुद्दे को समाप्त करने के लिए 2015 में एक समझौता हुआ था. हालांकि यह इस समझौते में कई पेंच हैं, इस कारण वार्ता से नतीजा निकलता नहीं दिख रहा है. एनएससीएन-आईएम ने एक अलग ध्वज और एक संविधान की मांग की मांग कर रहा है. एनएससीएन-आईएम नेता का कहना है कि बैठक का अगला दौर बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है.
दशकों के विद्रोह और संघर्ष के बाद, एनएससीएन-आईएम ने 1997 में केंद्र सरकार के साथ युद्धविराम के लिए हामी भरी थी. इस संगठन को पूर्वोत्तर में उग्रवाद की जननी के रूप में जाना जाता है. इसके बाद से नगा नेताओं और भारत सरकार के अधिकारियों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है. फिलहाल भारत-नगा शांति वार्ता से पहले एनएससीएन की अलग झंडा और संविधान की मांग एक बड़ा मुद्दा बन गया है, जो बातचीत को नतीजे पर पहुंचने में बाधक बन रहा है.

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