बेंगलुरु :जरबेरा फूल की खेती करना कभी छोटे किसानों के लिए सपने की तरह था, लेकिन बेंगलुरु स्थित भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (आईआईएचआर) ने लगातार आठ वर्षों के शोध के बाद इसे मुमकिन बना दिया है.
आईआईएचआर ने जरबेरा की अर्का रेड और अर्का कृषिका दो प्रजातियां विकसित की हैं. ये जरबेरा फूल पॉलीहाउस के बिना खुले क्षेत्र में उगाए जा सकते हैं. इसलिए छोटे किसान भी इसकी खेती कर सकते हैं.
जरबेरा की खेती अब तक केवल अमीर किसान ही कर रहे थे और सजावट, शादी के लिए और त्योहारों के सीजन में फूल की काफी मांग होती है.
भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान द्वारा 8 वर्षों के शोध के परिणामस्वरूप, अर्का रेड और अर्का कृषिका की प्रजातियां विकसित की गईं, जो बिना पॉलीहाउस के खुले क्षेत्रों में उगाई जा सकती हैं. यह प्रजातियां पहले से ही हैदराबाद और भुवनेश्वर में उगाई जा रही हैं.
हॉलैंड से आयात किए जाते थे जरबेरा के पौधे
जरबेरा फूल 1990 में भारत लाया गया था. जरबेरा के पौधों का आयात मुख्य रूप से हॉलैंड से किया जाता था. जरबेरा भारत में 800 हेक्टेयर में पॉलीहाउस में उगाया जाता है, जिसमें जरबेरा की कुल 30 प्रजातियां हैं.