सूरत:देश में कोरोना का कहर जारी है. गुजरात राज्य इससे अछूता नहीं है. राज्य में कोरोना के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. यहां सूरत जिले के पाल इलाके में खोले गए नए शमशान घाट (कैलाश मोक्षधाम शमशान घाट) पर 25 से ज्यादा चिताएं तैयार रखी जा रही हैं, ताकि जब शाम को शहर के सरकारी और निजी अस्पतालों से COVID -19 पीड़ितों के शव यहां आएं तो लोगों को दाह संस्कार के लिए इंतजार ना करना पड़े. यह बताता है कि सूरत में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या कितनी ज्यादा है. इस शमशान घाट में करीब 15 वर्षों के बाद फिर से चिता में जलाई जा रही है. कोविड-19 से मरने वाले लोगों के दाह संस्कार के लिए दोबारा इसे खोला गया है.
सूरत के श्मशान के लिए गन्ने का बस्ता मुफ्त दिया जा रहा है
सूरत में शवों का दाह संस्कार के लिए गैस चेंबर या लकड़ी की चिता दोनों का उपयोग किया जाता है. हालांकि कच्चे लकड़ियों को जलने में समय लगता है, इसलिए लकड़ी के साथ गन्ने की खोई का इस्तेमाल किया जाता है जो कि अत्यधिक ज्वलनशील होती है. गन्ने की खोई 900 रुपये प्रति टन बिकती है जो सायन चीनी मिल द्वारा सूरत के श्मशान घाट को मुफ्त दी जा रही है.