गया:बिहार के गया सेंट्रल जेल में बंद कुख्यात नक्सली प्रमोद मिश्रा से पूछताछ समाप्त हो गई. 48 घंटे का रिमांड अवधि पूरी होने के बाद शिनवार की शाम उसे गया सेंट्रल जेल भेज दिया गया. पुलिस रिमांड पर केंद्रीय एजेंसियां व कई राज्यों की पुलिस की टीम पूछताछ में जुटी थी. शीर्ष नक्सली लीडरों का सुराग तलाशने कोशिश की गई, लेकिन उसने कोई जानकारी नहीं दी. प्रमोद मिश्रा टस से मस नहीं हुआ. उल्टे क्रांतिकारी भाषा ही बोलता रहा.
यह भी पढ़ेंःNaxalite Pramod Mishra Arrested : कौन है माओवादी प्रमोद मिश्रा ? जिसपर 1 करोड़ के ईनाम का था प्रस्ताव
सुराग जानना चाहती थी पुलिसः पूछताछ के दौरान शीर्ष नक्सली प्रमोद मिश्रा ने यहां तक कहा कि 'कुछ भी कर लो, मुंह नहीं खोलूंगा, चाहे तो गोली मार दो.' एजेंसियां और कई राज्यों की पुलिस प्रमोद मिश्रा से सुराग जानना चाहती थी, लेकिन संभवत सफलता नहीं मिली, क्योंकि प्रमोद मिश्रा अपने संगठन के संबंध में और शीर्ष केंद्रीय लीडरों के संबंध में बताने से साफ मना कर दिया.
प्रमोद मिश्रा ने मुंह तक नहीं खोलाः सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रमोद मिश्रा को पुलिस रिमांड पर लेने के पीछे बड़ा मकसद था. एजेंसी देश में इस संगठन से जुड़े बड़े नक्सली लीडरों का सुराग जानना चाहती थी. तीन से चार शीर्ष नक्सली लीडरों के बारे में जानकारी लेना चाहती थी, लेकिन प्रमोद मिश्रा ने मुंह तक नहीं खोला.
एक करोड़ रुपए का था इनामः 9 अगस्त को अपने सहयोगी अनिल यादव के साथ गिरफ्तार प्रमोद मिश्रा पर झारखंड सरकार ने एक करोड़ रुपए की इनाम रखा था. एक करोड़ के इनाम की प्रस्तावित राशि में कई और नक्सली लीडरों का नाम भी शामिल था. इसी को लेकर एजेंसी और कई राज्यों की पुलिस कोशिश में जुटी थी कि गिरफ्त में आए प्रमोद मिश्रा से एक करोड़ 25 लाख के प्रस्तावित इनाम राशि में शामिल लीडरों और हार्डकोर माओवादियों की जानकारी हासिल कर सके.
अनिल यादव ने खोले कई राजः हालांकि प्रमोद मिश्रा के साथ गिरफ्तार उसके सहयोगी अनिल यादव ने पुलिस रिमांड में कुछ जानकारियां दी है, जिसके आधार पर सुरक्षा बलों की कार्रवाई बढ़ाई गई है. बताया जा रहा है कि केंद्रीय एजेंसियां सहित कई राज्यों की पुलिस ने गया केंद्रीय जेल से बाहर एक गोपनीय स्थान पर पूछताछ कर रही थी. तेलंगाना, छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों की पुलिस की टीम भी पूछताछ के लिए पहुंची थी. पटना और रांची के एनआईए के अधिकारी भी पूछताछ किए.
53 सालों का नक्सल इतिहासः प्रमोद मिश्रा का तकरीबन 53 सालों से नक्सल का इतिहास रहा है. कई राज्यों की पुलिस और सुरक्षा बलों को इसकी तलाश थी. 9 अगस्त को गया पुलिस और सुरक्षा बलों की टीम ने प्रमोद मिश्रा और उनके सहयोगी अनिल यादव की गिरफ्तारी करने में सफल रही थी. नक्सली लीडर प्रमोद मिश्रा संगठन को मजबूत करने के लिए बिहार झारखंड में लगातार काम कर रहा था. दिल्ली आईबी की इनपुट पर गया एसएसपी आशीष भारती की टीम ने गया जिले के टिकारी के इलाके से गिरफ्तारी की थी.