नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा की एसआईटी से जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की. हाई कोर्ट ने बीजेपी और कांग्रेस के 24 नेताओं को नोटिस जारी किया है. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच ने 22 मार्च तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. याचिकाकर्ता शेख मुज्तबा और दूसरे याचिकाकर्ता लॉयर्स वॉयस ने अलग-अलग याचिकाएं दायर करके नेताओं को दिल्ली हिंसा का जिम्मेदार ठहराया है.
शेख मुज्तबा ने बीजेपी के चार नेताओं कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, परवेश वर्मा और अभय वर्मा के भाषणों को उकसाने वाला और हिंसा भड़काने वाला बताते हुए इन नेताओं को हिंसा का जिम्मेदार ठहराया है. लॉयर्स वॉयस ने भी 20 नेताओं को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है. लॉयर्स वॉयस ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मनीष सिसोदिया, आप विधायक अमानतुल्लाह खान, वारिस पठान, अकबरुद्दीन ओवैसी, वकील महमूद प्राचा, हर्ष मंदर, मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल, अभिनेत्री स्वरा भास्कर, उमर खालिद, मौलाना हबीब उर रहमान, मोहम्मद दिलावर, मौलाना श्रेया रजा, मौलाना हामूद रजा, मौलाना तौकीर, फैजुल हसन, तौकीर रजा खान और बीजी कोसले पाटिल को हिंसा का जिम्मेदार बताया है.
इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इन नेताओं को पक्षकार बनाने से पहले इनका जवाब जानना जरूरी है. उसके बाद कोर्ट ने इन नेताओं को नोटिस जारी किया है. 24 फरवरी को कोर्ट ने एसआईटी से जांच की मांग करने वाली याचिकाओं को चुनौती देने वाली एक याचिकाकर्ता की इस मांग को खारिज कर दिया था कि उसे इस मामले में पक्षकार बनाया जाए.
याचिकाकर्ता की ओर से वकील पवन नारंग ने कहा था कि इस मामले में शेख मुज्तबा की उस याचिका को खारिज किया जाना चाहिए. क्योंकि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. उन्होंने इस मामले में खुद को पक्षकार बनाने की मांग की थी. तब कोर्ट ने कहा था कि आप न तो इस मामले से कहीं जुड़े हुए हैं और न ही आप सीधे पक्षकार हैं. 8 फरवरी को कोर्ट ने लॉयर्स वॉयस और शेख मुज्तबा फारुख को जरूरी पक्षकारों को पक्षकार बनाने के लिए अर्जी दाखिल करने की इजाज़त दी थी. 8 फरवरी को शेख मुज्तबा की ओर से वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्वेस ने बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके जांच करने की मांग की थी.
उन्होंने कहा था कि दिल्ली पुलिस ने भी दंगा भड़काने में मदद की, लेकिन एक भी एफआईआर दिल्ली पुलिस के खिलाफ दर्ज नहीं किया गया है. लॉयर्स वॉयस की ओर से वकील सोनिया माथुर ने कहा था कि वे भी कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं के खिलाफ हेट स्पीच संबंधी एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रही हैं. उसके बाद कोर्ट ने दोनों को उन नेताओं को भी पक्षकार बनाने के लिए अर्जी दाखिल करने का निर्देश दिया.