गोरखपुरःआपने सड़क किनारे फल और सब्जियों के साथ बहुत से सामान ठेलों पर पर बिकते देखा होगा और खरीदा होगा. लेकिन क्या कभी आपने सड़क किनारे ठेलों पर नोटों की दुकान देखी है. जी हां, गोरखपुर में सड़क पर नोटों की दुकान सजती है और जमकर कमीश्न का खेल होता है. दरअसल, शादी-विवाह में नए नोट के अलावा 10, 20, 50 और 100 रुपये के नोटों का बड़ा महत्व होता है. मौजूदा समय में शादी विवाह का दौर चल रहा है. इसलिए इसका महत्व और ही बढ़ गया है. बैंकों से नई नोटों की गड्डियां नहीं मिलने से लोग निराश हो रहे हैं. जबकि सड़क के किनारे बैठकर कटी फटी नोटों का कारोबार करने वाले व्यापारियों के यहां यह नोट धड़ल्ले से मिल रही हैं. जहां एक हजार रुपये के बदले 1100 से लेकर 1150 रुपये दीजिए. इसके बाद आप नए नोटों की गड्डियां घर लेकर जाइए. जहां अवैध मनी एक्सचेंजर सड़क पर ही सऊदी से लेकर नेपाल की करेंसी तत्काल चेंज कर भारतीय करेंसी दे दे रहे हैं.
वहीं, बैंक में कोई भी गुजारिश काम नहीं आ रही. बैंकों में नए नोट के नहीं मिलने से मनी एक्सचेंजरों की चांदी हो गई है. जहां 10 रुपये के नोटों की गड्डी खासतौर पर बैंक में नहीं मिल रही है. जबकि बाहर एक्सचेंजरों के यहां धड़ल्ले से मिल रही हैं. इसकी कीमत भी जरूरतमंद को चुकाना पड़ रहा है. जबकि शादी-ब्याह के सीजन में नए नोटों की गड्डी की डिमांड बैंकों से भी लोगों की पूरी नहीं पा रही है. प्रतिदिन तमाम लोग नई नोट पाने की उम्मीद लेकर बैंक पहुंचते हैं. लेकिन उनके हाथ निराशा ही लग रही है.
शहर का एक रोड बैंक रोड के नाम से ही जाना जाता है. जिस पर स्टेट बैंक, सेंट्रल बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक समेत कई बैंकों के बड़े प्रतिष्ठान हैं. यहीं पर ये मनी एक्सचेंजर सड़क के दोनों तरफ खुलेआम नोटों का कारोबार करते हैं. जहां नई नई नोट लोगों को आकर्षित करती हैं, तो वहीं, बैंकों में इसकी चाहत लोगों को निराश करती है. कुशीनगर से नए नोटों की चाह में विजय प्रकाश मिश्रा गोरखपुर तक आए. वे बैंकों का चक्कर लगाने के बाद अंततः मनी एक्सचेंजरों के हाथ से ही 1000 के बदले 1150 रुपये देकर नई गड्डी को हासिल कर चले गए. वहींं, मनी एक्सचेंजर सोनू और सुनील का कहना है कि वह कुल 10 परसेंट पर कारोबार करते हैं. जिसमें 8 पर्सेंट बैंक में जमा हो जाता है. 2 परसेंट उनके पास आता है, यह कटी फटी नोटो पर लागू होता है. नई नोटों को वह स्थानीय बैंको से ही लाते हैं. ग्राहकों से जैसी बात बन जाती हैं, उसी के अनुसार ग्राहकों को दे देते हैं.